रायपुर। कला और मानविकी संकाय, कलिंगा विश्वविद्यालय ने नाबार्ड के सहयोग से “सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महिला उद्यमिता को मजबूत करना” विषय पर 2 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। समारोह का उद्घाटन कलिंगा विश्वविद्यालय सभागार में मुख्य अतिथि भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और मां बम्लेश्वरी जनहितकारी समिति की संस्थापक पद्मश्री फूलबासन बाई यादव एवं अन्य प्रतिष्ठित अतिथियों की उपस्थिति में हुआ।

छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. उमेश कुमार मिश्र ने विशिष्ट अतिथि के रूप में संगोष्ठी में अपना संदेश दिया। विशिष्ट अतिथि नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. ज्ञानेंद्र मणि तथा इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स के अध्यक्ष और दक्षिण एशिया के तकनीकी सलाहकार बोर्ड के सदस्य प्रोफेसर डॉ. दिनेश मारोठिया थे।

उद्घाटन समारोह कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर श्रीधर, कुलसचिव डॉ. संदीप गांधी, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. जैस्मिन जोशी, अकादमिक कार्यों के अधिष्ठाता डॉ. राहुल मिश्रा की उपस्थिति में सरस्वती वंदना के साथ शुरू हुआ। अतिथियों के स्वागत के पश्चात कुलपति डॉ आर श्रीधर ने स्वागत भाषण दिया । राष्ट्रीय सेमिनार में डॉ. दिनेश मारोठिया ने महिला उद्यमिता का महत्व एवं आवश्यकता बताते हुए अपने विचार साझा किये। डॉ. ज्ञानेंद्र मणि ने भाषण प्रस्तुत किया और नाबार्ड का उद्देश्य बताया । पद्मश्री फूलबासन बाई यादव ने एक विचारोत्तेजक भाषण दिया जो वास्तव में सभी महिला उद्यमियों के लिए प्रेरणादायक था। इस अवसर पर भारत भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के संकाय सदस्यों और छात्रों के साथ-साथ कुरुद के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के सदस्य और उद्यमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

अतिथि वक्ताओं को स्मृति चिन्ह भेंट करने के पश्चात धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता जूही मारोठिया ने किया। समारोह की संचालिका गीतिका ब्रम्हभट्ट, सहायक प्रोफेसर, कला और मानविकी संकाय थीं। नौ तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिसमें केरल कृषि विश्वविद्यालय के आईसीएआर एमेरिटस प्रोफेसर डॉ. पी इंदिरा देवी ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

अन्य अतिथि वक्ताओं में कृषि अर्थशास्त्र और फार्म प्रबंधन के प्रोफेसर और प्रमुख और मानद निदेशक डॉ. सुनील नाहटकर, मां बम्लेश्वरी जनहितकारी समिति की निदेशक धनेश्वरी मंडावी, मां बम्लेश्वरी जनहितकारी समिति के कृषि केंद्र प्रभाग की प्रमुख खिलेश्वरी साहू, डॉ. एस.आर.के. सिंह थे। आईसीएआर-अटारी के निदेशक, डॉ. एसके रिसम, जम्मू के शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और निदेशक, डॉ. एसएस कलमकर, कृषि-आर्थिक अनुसंधान केंद्र, सरदार पटेल विश्वविद्यालय, गुजरात के निदेशक और प्रोफेसर, डॉ. राजीव मोहंती, कृषि विभाग छत्तीसगढ़ और डॉ. संजय कुमार जोशी, सहायक प्रोफेसर, कृषि-व्यवसाय विभाग और ग्रामीण प्रबंधन महाविद्यालय। राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन शनिवार को दस और तकनीकी सत्र आयोजित हुए ।

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