नई दिल्ली। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ मिजोरम एवं तेलंगाना में निष्पक्ष विधानसभा चुनाव कराने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग ने जिला मजिस्ट्रेट अथवा जिला कलेक्टर के पद पर पदस्थ 9 आईएएस अधिकारियों, पुलिस कमिश्नर से लेकर एडिशनल एसपी के पद तक 25 आईपीएस अधिकारियों एवं सचिव स्तर पर पदस्थ चार वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को उनके पद से हटा दिया है।

9 IAS, 25 IPS एवं 4 सीनियर आईएएस

चुनाव आयोग ने छत्तीसगढ़ में दो कलेक्टर और तीन एसपी व 2 ASP सहित कुल 7 अफसरों को हटाया है, तो वहीं चुनाव होने वाले पांच राज्यों में 25 एस पी, 9 कलेक्टर, चार सचिवों और विशेष सचिवों सहित कई शीर्ष पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले के आदेश दिए गए। तेलंगाना में चार कलेक्टर और 13 SP को बदला गया है। वहीं मध्यप्रदेश में भी दो कलेक्टर और दो एसपी को बदला गया है।

चुनाव आयोग ने राजस्थान में हनुमानगढ़, चूरू और भिवाड़ी के पुलिस अधीक्षकों (SP) और अलवर जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ) के तबादले के आदेश दिये।

तेलंगाना में गैर कैडर के अधिकारी बैठे थे बड़े पदों पर

मुख्य चुनाव आयुक्त को तेलंगाना में समीक्षा बैठक में जानकारी मिली कि कई गैर-कैडर अधिकारियों को जिला प्रभारी के रूप में तैनात किया गया था, जबकि प्रशासनिक और पुलिस सेवाओं के अधिकारियों को गैर-महत्वपूर्ण पोस्टिंग दी गई थी। इसके बाद आयोग ने अब राज्य के 13 एसपी और पुलिस कमिश्नर के तबादले के आदेश दिए हैं। तेलंगाना में ट्रांसफर किए गए 13 पुलिस अधिकारियों में से नौ गैर-कैडर पुलिस अधिकारी हैं।

चुनाव आयोग ने सभी को पद से हटाने और उनके स्थान पर तत्काल उनके जूनियर को प्रभार सौंपने के आदेश जारी किए हैं। इसके साथ ही राज्य शासन को निर्देशित किया है कि वह 12 अक्टूबर, कार्य दिवस की समाप्ति तक पैनल भेजें। सूत्रों का कहना है कि उपरोक्त सभी अधिकारियों पर किसी विशेष राजनीतिक दल अथवा किसी विशेष नेता के साथ संबंधों और उसके लिए पद के दुरुपयोग की शिकायतें थी, जिनके साथ प्रमाण भी संलग्न किए गए थे।

गौरतलब है कि आदर्श आचरण संहिता लागू होते ही सभी पांचो राज्यों के प्रशासनिक कंट्रोल चुनाव आयोग ने अपने हाथ में ले लिए हैं। इसके साथ ही आयोग के पास शिकायतों का सिलसिला शुरू हो गया है। आयोग ने उन शिकायतों को प्राथमिकता दी है जिनके साथ प्रमाण भी संलग्न हैं। शिकायतों के लिए चुनाव आयोग ने ऑनलाइन और ऑफलाइन सभी माध्यम ओपन कर दिए हैं।

कोई भी शासकीय कर्मचारी अथवा अधिकारी किसी भी प्रकार की राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं हो सकता। आचार संहिता लागू होने के बाद वह किसी नेता को अपने घर व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित नहीं कर सकता और ना ही किसी नेता के व्यक्तिगत आमंत्रण पर उसके घर जा सकता है। किसी सार्वजनिक अथवा गोपनीय स्थान पर मुलाकात नहीं कर सकते।