कोरिया । कहते हैं कि बच्चे देश का भविष्य है और इन्हीं के कंधों पर देश का भार होगा। लेकिन बच्चों के भविष्य गढ़ने के लिए जिम्मेदार कई सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की लापरवाही से इन बच्चों का भविष्य ही अंधकार में है । कोरिया जिले के दूरस्थ इलाको में शिक्षा की क्या स्थिती है और स्कूल किस तरह संचालित हो रहे हैं इसे सोनहत विकासखण्ड के चंदहा इलाके की प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल के नजारे से आसानी से समझा जा सकता है। निरीक्षण के दौरान स्कूल का हाल यह था कि दोनों ही स्कूल में एक भी शिक्षक मौजूद नहीं थे। प्राथमिक स्कूल में जहां एक कमरे में केवल छ: छात्राएं बिना शिक्षक के संचालित स्कूल में बैठी हुई थी तो कुछ छोटे बच्चे खेल रहे थे। यहां एक प्रधानपाठक के साथ एक शिक्षक पदस्थ है पर दोनों नहीं थे।

वहीं मीडिल स्कूल में कार्यालय बन्द था और तीन अलग- अलग कक्षाओं में से केवल एक क्लास में दो छात्र और दो छात्राएं जमीन पर बैठे थे,जिन्हें गांव की मितानिन प्रेरक कुछ समझा रही थी। इस स्कूल में भी 3 शिक्षक पदस्थ है लेकिन एक भी यहां मौजूद नहीं थे। दूरस्थ इलाको का हाल यह है कि शिक्षक यहां आते नहीं है और आते है तो समय से पहले चले जाते है।