high court
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रायपुर। राज्य सरकार ने प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखने को लेकर दायर जनहित याचिका पर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपी। उसने बताया कि रायपुर, बिलासपुर और बेमेतरा में नई जेलों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हाईकोर्ट ने जेल महानिदेशक को 8 सप्ताह के भीतर नई स्टेटस रिपोर्ट शपथ-पत्र के साथ दाखिल करने कहा है।

CJ ने खुद किया था केंद्रीय जेल का निरीक्षण

बता दें कि प्रदेश के जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को अमानवीय परिस्थितियों में रखे जाने को लेकर एक जनहित याचिका अधिवक्ता सुनील पिल्लई के माध्यम से अधिवक्ता शिवराज सिंह ने दायर की है। इससे संबंधित दो अन्य विषयों पर हाईकोर्ट ने विभिन्न पत्रों पर स्वत: संज्ञान लिया है। इस संबंध में न्यायमित्रों की नियुक्ति कर रिपोर्ट भी मांगी गई थी। तीनों याचिकाओं की एक साथ सुनवाई हो रही है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने सितंबर माह में केंद्रीय जेल का निरीक्षण किया था, जिसमें पाया था कि 2290 की क्षमता वाले केंद्रीय जेल में 3153 कैदी हैं।

ठेकेदार के फर्जीवाड़े के चलते दोबारा टेंडर

नई जेलों के निर्माण में हो रही देरी के संबंध में राज्य सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि पूर्व में बिलासपुर केंद्रीय जेल के निर्माण का ठेका एक कंपनी को 116 करोड़ रुपये में दिया गया था लेकिन जांच में यह पाया गया कि टेंडर लेने के लिए उसने फर्जी दस्तावेज जमा किये थे। इसके बाद उसका ठेका आदेश निरस्त कर नया टेंडर जारी किया गया है। रायपुर में भी नया जेल बनाने का प्रस्ताव है जिसके लिए राशि स्वीकृत करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। इसके लिए भूमि मिल चुकी है। यहां विशेष जेल का निर्माण होगा। इसके अलावा बेमेतरा में खुली जेल बनाने का प्रस्ताव है जिसका काम अंतिम चरण पर है।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एन के चंद्रवंशी की बेंच ने राज्य सरकार तथा जेल महानिदेशक को शपथ पत्र के साथ कार्य योजना व नवीनतम स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है जिस पर सुनवाई 8 सप्ताह बाद होगी।