टीआरपी डेस्क। 20 अक्टूबर 2023, शुक्रवार को शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की विधिवत पूजा की जाती है। मां दुर्गा के इस स्वरूप को सफलता और यश का प्रतीक माना गया है।

मां कात्यायनी का स्वरूप:

मां कात्यायनी के स्वरूप की बात करें तो मां सिंह पर सवार हैं, जो चतुर्भुज हैं। दो भुजाओं में कमल और तलवार धारण करती हैं। मां एक भुजा वर मुद्रा और दूसरी भुजा अभय मुद्रा में रहती है।

मां कात्यायनी पूजन शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:44 ए एम से 05:34 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 05:09 ए एम से 06:25 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:43 ए एम से 12:28 पी एम
विजय मुहूर्त- 01:59 पी एम से 02:45 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:47 पी एम से 06:12 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05:47 पी एम से 07:03 पी एम
अमृत काल- 02:23 पी एम से 03:58 पी एम
निशिता मुहूर्त- 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 21
रवि योग- 06:25 ए एम से 08:41 पी एम

मां कात्यायनी का प्रिय पुष्प व रंग:

मां कात्यायनी को लाल रंग अतिप्रिय है। इस दिन लाल रंग के गुलाब का फूल मां भगवती को अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां भगवती की कृपा होती है।

मां कात्यायनी का भोग:

मां कात्यायनी को शहद अतिप्रिय है। ऐसे में पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से भक्त का व्यक्तित्व निखरता है।

मां कात्यायनी पूजा विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं।
मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम लगाएं।
मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।
मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं।
मां कात्यायनी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती भी करें।

मां कात्यायनी की पूजा का महत्व-

शास्त्रों के अनुसार, मां कात्यायनी की पूजा करने से विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं। गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है। पॉजिटिव एनर्जी प्राप्त होती है। शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है। सेहत संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।

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