रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बीते 2 दिनों में राइस मिलर्स के यहां की गई छापेमारी की कार्रवाई को लेकर एक ट्वीट करते हुए उसका ब्यौरा दिया है। इसमें कहा गया है कि ईडी ने मार्कफेड के पूर्व एमडी, जिला विपणन अधिकारी, राइस मिलर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष, पदाधिकारियों के यहां जांच की थी। यह रेड कस्टम मिलिंग घोटाले के सिलसिले में की गई थी। इस छापेमारी में घोटाले की पुष्टि करने वाले कागजात, कंप्यूटर के साफ्टवेयर के साथ 1.06 करोड़ रूपए नगद भी सीज किए गए हैं। इन दस्तावेजों के जरिए आगे की जांच जारी है।

“प्रोत्साहन राशि” बढ़ाकर की हेराफेरी

ED ने आईटी अधिनियम, 1961 और आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत विभाग सीजेएम, रायपुर में यह आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ के अधिकारी, राइस मिलर्स एसोसिएशन ने छत्तीसगढ़ राज्य विपणन के अधिकारियों से मिलीभगत कर फेडरेशन लिमिटेड (मार्कफेड) के विशेष प्रोत्साहन राशि का दुरुपयोग करने की साजिश रची और करोड़ों की रिश्वत वसूली। आरोप है कि खरीफ वर्ष 2021-22 तक सरकार ने धान पर प्रति क्विंटल 40/-विशेष प्रोत्साहन रकम का भुगतान किया। छत्तीसगढ़ के चावल के लिए धान की कस्टम मिलिंग के लिए मिलर्स को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि में अत्यधिक वृद्धि की गई और 120/- प्रति क्विंटल धान का भुगतान दो किश्तों में किया गया। इसके एवज में प्रत्येक मिलर्स से 60/- के मान से छत्तीसगढ़ राज्य राइस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर के नेतृत्व में एमडी मनोज सोनी के सहयोग से रिश्वत राशि रुपये एकत्र करना शुरू किया। जिला राइस मिलर्स एसोसिएशन द्वारा राशि का नगद भुगतान ऊपर भेजा गया।

500 करोड़ का किया गया भुगतान

ईडी की जांच में पता चला है कि स्पेशल अलाउंस में बढ़ोतरी के बाद से 40 रुपये से 120 रुपये क्विंटल के हिसाब से 500 करोड़ रुपये का भुगतान जारी किया गया। 175 करोड़ रुपये की रिश्वत जो रोशन चंद्राकर ने सक्रिय रूप से एकत्र की थी। ‘उच्च शक्तियों’ के लाभ के लिए एमडी मार्कफेड की ओर से सहायता की गई। बताया गया है कि रेड के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज़, डिजिटल उपकरण और बेहिसाब नकदी की जानकारी मिली। इसमें से 1.06 करोड़ जब्त कर लिए गए। आगे की जांच जारी है।

रोशन चंद्राकर ने की थी FCI की शिकायत

बताते चलें कि छत्तीसगढ़ राज्य राइस मिलर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर ने पूर्व में छत्तीसगढ़ में पदस्थ FCI के अधिकारियों के ऊपर रिश्वतखोरी करने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री से लिखित शिकायत की थी। जिसकी जांच के बाद FCI के लगभग 25 अधिकारियों का तबादला कर दिया गया था। इस बीच ED ने प्रदेश में चल रहे कस्टम मिलिंग प्रक्रिया की जांच शुरू की और फिर राइस मिलर्स तथा अधिकारियों के यहां छापेमारी की। इसके बाद स्पेशल कोर्ट में प्रस्तुत चालान में ED ने रोशन चंद्राकर को ही राइस मिलर्स से रिश्वत की रकम इकट्ठा करने वाला बताया है। ED ने आधा दर्जन से अधिक राइस मिलर्स और मनोज सोनी तथा अनेक अधिकारियों को आरोपी बनाया है, जिनकी अदालत में पेशी शुरू हो गई है।

छत्तीसगढ़ राज्य राइस मिलर्स एसोसिएशन हुआ भंग

ED के लगातार पड़ रहे छापों के बीच बीते दिनों छत्तीसगढ़ राज्य राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पारस चोपड़ा की अगुवाई में संगठन की बैठक महासमुंद में हुई, जिसमें डेढ़ से दो सौ राइस मिलर्स भी शामिल हुए। इस दौरान छापों को लेकर सदस्यों की पदाधिकारियों से गर्मागर्म बहस हुई। आखिरकार सभी पदाधिकारियों और सदस्यों ने त्यागपत्र दे दिया। वर्तमान में यह संगठन भंग की स्थिति में है और राइस मिलर्स का कोई भी संगठन फ़िलहाल प्रदेश स्तर पर अस्तित्व में नहीं है। बताया जा रहा है कि राइस मिलर्स का लगभग साढ़े 4 हजार करोड़ रूपये का सरकार के ऊपर बकाया है, जिसके भुगतान को लेकर राइस मिलर्स चिंतित हैं और इसी मुद्दे को लेकर संगठन के पदाधिकारियों से इनकी बहस के बाद सभी ने इस्तीफा दे दिया।