नारायणपुर। मूलभूत सुविधाओं की लंबे समय से मांग करने के बावजूद उनकी मांगे पूरी नहीं होने पर नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के 55 गांवों के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का फैसला किया है। अबूझमाड़ नारायणपुर जिले का वह इलाका है, जहां सरकार की दखल आजादी के दशकों बाद अब भी नहीं है। यहां देश के विशेष पिछड़ी जनजाति अबूझमाड़िया जनजाति के आदिवासी निवासरत है, जो प्रकृति के साथ अपना जीवन साझा करते हैं। जहां सैकड़ों ग्रामीण बीते एक साल से धरने पर बैठे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि 55 गांव से अधिक गांव के ग्रामीण अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए है। वहीं सरकार इनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है, ग्रामीण सरकार पर अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं और पूर्ण रूप से मतदान नहीं करने की बात कह रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब उनकी मांगों को लेकर सरकार गंभीर नहीं है तो वे सरकार क्यों चुने?

नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में 5 जगह ब्रेहबेड़ा, कच्चापाल, मडोनार, ओरछा और तोयामेटा गांव में हजारों की संख्या में ग्रामीण अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। ग्रामीणों की प्रमुख मांग, ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के बिना सरकार की किसी भी प्रकार की दखल उनके ग्रामीण इलाको में ना हो, थाना और पुलिस कैंप ग्रामीण इलाकों में ना खुले, नए वन संरक्षण अधिनियम को रद्द करने और पेसा एक्ट जो ग्रामीणों के लिए बनाया गया है, उसे सुचारू रूप से लागू करने और पालन करने जैसी ग्रामीणों की मांग है. ग्रामीण इन मांगों को लेकर समय-समय पर जिला मुख्यालय में पहुंच कर ज्ञापन के माध्यम से रखते हैं, लेकिन साल बीतने के बाद उनकी कोई सुनने वाला नहीं है. अबूझमाड़ के ग्रामीण धरना स्थल पर अस्थाई झोपड़ियों का निर्माण किया है, जहां वे रात गुजारते हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांवों में सचिव सरपंच और कोई भी जनप्रतिनिधि चुनाव जितने के बाद नहीं पहुंचता है। ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पाती है। अबूझमाड़िया बच्चे जाती निवास प्रमाण पत्र नहीं बन पाने के चलते शाला त्यागी हो रहे हैं, जिनकी संख्या सैकड़ों में है. यहां स्कूल तो खोले गए हैं, लेकिन स्कूलों में शिक्षक भी नहीं आते हैं। वृद्ध ग्रामीणों को वृद्धा पेंशन भी नहीं मिल पाता है. सरकार ना पेय जल का इंतजाम कर पाती है ना ही स्वास्थ सुविधा का. हम जिस पंचायत कच्चापाल में गए हुए थे, वहां पंचायत चुनाव के बाद से अब तक ग्रामीणों की ओर से चुना गया सरपंच नहीं आया, सरपंच मुख्यालय में निवासरत है. ग्राम पंचायत का सचिव भी ग्रामीणों की सुध नहीं लेता है. इतना ही नहीं जब ग्रामीण अपनी समस्या को लेकर मुख्यालय उनके निवास तक पहुंचते हैं तो भी उनके समस्या का निराकरण ना ही सरपंच करते हैं और ना ही सचिव करते हैं।

वहीं, अबूझमाड़ के 5 जगहों पर धरने पर बैठे ग्रामीणों का मतदान बहिष्कार का ऐलान इस विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत में गिरावट लाएगा। नारायणपुर जिले के लगभग 4,000 वर्ग किलोमीटर में बसे अबूझमाड़ के हजारों मतदाता दंतेवाड़ा और बीजापुर विधानसभा से भी जुड़ा हुआ है. इसमें ग्रामीणों का चुनाव बहिष्कार सरकार की विफलता का एक सबसे बड़ा उदाहरण है।. देखना यह है कि धरने पर बैठे ग्रामीण इस विधानसभा चुनाव में मतदान को लेकर कितना असर डाल पाते हैं।