नेशनल डेस्क। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। इसी कड़ी में एक शोध से यह बात सामने आई है कि स्कीजोफ्रेनिया (मेंटल डिसऑर्डर) और मनोविकृति (भ्रम), से पीड़ित लोगों में अन्‍य लोगों (बीमारी रहित) की तुलना में कोविड-19 संक्रमण के बाद मृत्यु का खतरा 50 प्रतिशत अधिक होता है।

ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकाइट्री में प्रकाशित शोध में पाया गया कि एक से अधिक दीर्घकालिक स्वास्थ्य स्थिति (मल्टीमॉर्बिडिटी) वाले लोगों में मृत्यु का खतरा अधिक था। गंभीर मानसिक बीमारी वाले लोगों के लिए मृत्यु का जोखिम 6 प्रतिशत और बिना गंभीर मानसिक बीमारी वाले लोगों के लिए 16 प्रतिशत बढ़ गया।

किंग्स कॉलेज लंदन की टीम ने किया विश्लेषण

किंग्स कॉलेज लंदन की टीम ने फरवरी 2020 से अप्रैल 2021 के बीच यूके के 660,000 से अधिक रोगियों के डेटा का विश्लेषण किया।

गंभीर मानसिक बीमारी वाले 7,146 लोगों में, बिना गंभीर मानसिक बीमारी वाले लोगों की तुलना में कोविड-19 संक्रमण के बाद सभी कारणों से मृत्यु का जोखिम 50 प्रतिशत अधिक था।

कैरेबियन/अफ्रीका के रंग के लोगों में अन्य लोगों की तुलना में कोविड-19 संक्रमण के बाद मृत्यु का जोखिम 22 प्रतिशत अधिक था, और यह गंभीर मानसिक बीमारी वाले और बिना गंभीर मानसिक बीमारी वाले लोगों के लिए समान था।

हालांकि, लगभग 30 प्रतिशत रोगी डेटा में जातीयता दर्ज नहीं की गई थी। अध्ययन किए गए अन्य जातीय समूह एक ‘दक्षिण एशियाई’ समूह थे जिसमें भारतीय, पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और एशियाई ‘अन्य’ समूह और एक ‘मिश्रित’ जातीय समूह शामिल थे।

किंग्स में ईएसआरसी सेंटर फॉर सोसाइटी एंड मेंटल हेल्थ से मुख्य लेखिका डॉ. जयति दास मुंशी ने कहा, “ये स्पष्ट निष्कर्ष गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों, नस्लीय समूहों के लोगों और देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के लिए मौजूद स्वास्थ्य असमानताओं को उजागर करते हैं।”

उन्‍होंने कहा,“हमें अभी भी इन समूहों के अनुभवों के बारे में और अधिक जानने की जरूरत है जो हम गहन साक्षात्कार अनुसंधान के माध्यम से कर रहे हैं।”

दास मुंशी ने कहा, ”महामारी ने इन असमानताओं पर प्रकाश डाला और हमें नई नीतियां विकसित करने और सेवा प्रावधान में सुधार करने के लिए इससे सीखना चाहिए।

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