रायपुर। भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ निर्वाचन आयोग की सीईओ रीना कंगाले से राज्य के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स एवं लैंप्स) में नियुक्त सत्ता पक्ष के कांग्रेस समर्थित अशासकीय सदस्यों को प्राधिकृत आधिकारी (ओआईसी) के पद से हटाने की मांग की है। इन समितियों के माध्यम से किसानों से धान की खरीदी, कृषि ऋण के साथ ही अन्य कार्य भी किये जाते हैं।

निर्वाचन आयोग संपर्क समिति के संयोजक डॉ विजय शंकर मिश्रा ने अपनी शिकायत में कहा है कि छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 49 (8) का उल्लेख करते समय यह भी लिखना था कि राज्य सहकारी निर्वाचन आयोग के द्वारा ऐसी स्थिति में सहकारी समितियों का निर्वाचन छः माह के भीतर एवं सहकारी बैंक का निर्वाचन अधिकतम एक वर्ष के भीतर कराने की वैधानिक अनिवार्यता होगी।

किसानों को प्रलोभन देने की आशंका

पार्टी ने शिकायत में उल्लेख किया है कि अब जबकि 01 नवंबर से सोसाइटियों के माध्यम से ही प्रदेश के किसानों की धान खरीदी की जानी है। धान खरीदी के दौरान धान बेचने आए किसानों को, नामांकित अशासकीय प्राधिकृत अधिकारियों द्वारा पार्टी का प्रचार -प्रसार करने में अपने पार्टी के पक्ष में किसानों को मतदान करने प्रालोभन देकर चुनाव को प्रभावित किया जा सकता है।

डॉ. मिश्रा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 2058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां पैक्स एवं लैंप्स) किसानों की सेवा में कार्यरत हैं। जिनके बोर्ड/ संचालक मंडल के कार्यकाल के अवसान के पूर्व निर्वाचन की प्रक्रिया गत वर्ष मई, जून 2022 तक संपन्न की जानी थी, किंतु निर्वाचन की प्रक्रिया नहीं कराकर बोर्ड के कार्यकाल के अवसान के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ शासन के आदेशानुसार पंजीयक सहकारी संस्थायें छत्तीसगढ़ द्वारा प्रथमतः सहकारी समितियों में सहकारिता विभाग एवं सहकारी बैंकों के कर्मचारियों, अधिकारियों एवं प्राधिकृत अधिकारियों के पद पर नियुक्त किया गया।

चुनाव प्रचार में लगे हैं ओआईसी

शिकायत में बताया गया है कि तीन-चार माह बाद सत्ता पक्ष के कांग्रेस समर्थित अशासकीय व्यक्तियों/कांग्रेस के पदाधिकारियों को लगभग सभी समितियों में नामांकित बोर्ड के रूप में प्राधिकृत अधिकारी के पद पर नियुक्त कर दिया गया है, जो आज पर्यंत पदस्थ हैं। चूंकि उक्त सभी कांग्रेस पदाधिकारी वर्तमान निर्वाचन के समय में अपने पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार प्रसार में लग गए हैं, ऐसी स्थिति में इससे आदर्श चुनाव आचार संहिता का सीधा उल्लंघन हो रहा है।

भाजपा ने अंत में मांग की है कि प्राधिकृत अधिकारी के पद पर शासकीय विभागों के अन्य कर्मचारियों, अधिकारियों को नियुक्त किया जाये।