आज से 22 साल पहले मध्य प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आए छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य क्षेत्र में मौजूद है गरियाबंद जिला, जहां बसा है बिंद्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 210682 मतदाता थे, और उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार डमरूधर पुजारी को 79619 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, और विधायक बना दिया था, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार संजय नेताम को 69189 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 10430 वोटों से चुनाव हार गए थे.

इससे पहले, साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बिंद्रानवागढ़ विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार गोवर्धन सिंह मांझी ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 85843 मतदाताओं का समर्थन मिला था. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार जनक ध्रुव को 55307 वोट मिल पाए थे, और वह 30536 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे.

इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में बिंद्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार डमरूधर पुजारी को कुल 67505 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी ओंकार शाह दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 50801 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 16704 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.

ध्यान रहे कि विधानसभा चुनाव 2018, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में 68 सीटें जीतकर कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री पद पर बैठे थे. इन्हीं नतीजों के साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रमन सिंह की 15 साल तक चली सरकार का कार्यकाल खत्म हो गया था, क्योंकि इस चुनाव में BJP महज़ 15 सीटें अपनी झोली में डाल पाई थी. 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता कैसे बदली, इसे समझने के लिए वर्ष 2013 के चुनाव नतीजों पर भी नज़र डालनी होगी. उस समय BJP को 49 सीटें मिलीं थीं और कांग्रेस को 41, लेकिन दोनों के बीच वोट शेयर का अंतर 1 फीसदी से भी कम रहा था. अब भूपेश बघेल सरकार के पास राज्य में पहली बार बनी कांग्रेस सरकार को रिपीट करने की चुनौती है, जबकि BJP एन्टी-इन्कम्बेन्सी के सहारे फिर सत्ता पाने की जुगत में लगी है.

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