34 वीआईपी सीटों में सबसे महत्वपूर्ण अंबिकापुर

रायपुर। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के समय से ही अंबिकापुर रियासत परिवार को जनप्रतिनिधि के रूप में तवज्जो मिलता रहा है। पूर्व सीएम अजीत जोगी के कार्यकाल को छोड़ दें तो बाकी काल में सिंहदेव परिवार को मौका मिलता रहा है।

टीएस सिंहदेव प्रदेश में डिप्टी सीएम के रूप में सियासत की बागडोर संभाले हुए हैं। उन्हें भावी सीएम के रूप में भी देखा जा रहा है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के तहत दूसरे चरण में 17 नवंबर को कुल 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे। इनमें 34 सीटें वीआईपी हैं। इन वीआईपी सीटों में सबसे महत्वपूर्ण सीट अंबिकापुर है।

क्योंकि यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता और वर्तमान डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव (त्रिभुनेश्वर शरण सिंहदेव) चुनाव लड़ रहे हैं। सरगुजा संभाग में कांग्रेस की हार-जीत में राजघराने की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

टीएस के सामने बीजेपी प्रत्याशी राजेश अग्रवाल चुनाव मैदान में हैं। यहां पर कांटे की टक्कर देखी जा रही है। दोनों प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला है। सिंहदेव के सामने लगातार चौथी बार विधायक बनने की चुनौती है। सरगुजा संभाग में उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। वहीं राजेश अग्रवाल की अग्निपरीक्षा है। वो खुद को बेहतर प्रत्याशी साबित करने में लगे हुए हैं। उन्हें पार्टी और ग्रामीणों की गारंटी है।

आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग में सिंहदेव का वर्चस्व है। सरगुजा संभाग और उसके आस-पास के क्षेत्रों में राज परिवार या सरगुजा रियासत का सीधा दखल रहता है। आदिवासी बहुल संभाग में दशकों से रियासत परिवार को सम्मान मिलता रहा है।

सीएम बनने का उठा था मु्द्दा

वर्ष 2018 के चुनाव में टीएश सिंहदेव ने 15 साल का कांग्रेस का वनवास खत्म कराने में अहम भूमिका निभा चुके है। 2018 में बीजेपी का सुपड़ा ही साफ हो गया था। टीएस सिंहदेव की वजह से निर्णायक जीत मिली थी क्योंकि वो खुद कांग्रेस का घोषण पत्र तैयार किए थे।

संभाग की जनता उन्हें सीएम मानकर चल रही थी। क्योंकि 2018 में प्रदेश में सीएम का कोई चेहरा घोषित नहीं था। सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था, लेकिन चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलने पर तत्कालानी प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को सीएम बना दिया गया।

इससे सरगुजावासियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। उस दौरान ढाई-ढाई साल तक के सीएम बनने का मुद्दा भी उठा था। खुद टीएस मीडिया के सामने ये बात उठाते रहे हैं। इसे लेकर सीएम भूपेश बघेल से सियासत में तल्खी किसी से छुपी नहीं है। अप्रत्यक्ष रूप से कई मौकों पर एक दूसरे पर हमला करते नजर आए थे।

अहम है सरगुजा संभाग

छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों में सरगुजा संभाग की 14 सीटें काफी अहम हैं। यहां की 14 में से 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। महज 5 सीट सामान्य वर्ग के लिए है।

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर कब्जा किया था। जबकि 2013 के विधानसभा चुनावों में 7 सीटों पर भाजपा का कब्जा था और 7 सीटों पर कांग्रेस थी। यानी 2018 के चुनाव में भाजपा को यहां काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

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