रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को लोकतंत्र के महापर्व के रुप में मनाया गया। लोकतंत्र के इस महापर्व में सभी वर्गों की भागीदारी रही जिन्होंने लोकतंत्र को मजबूत करने कि लए घंटो लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे और शांतिपूर्वक मतदान किया। प्रदेश में सरकार का चुनाव काफी अहम चुनाव के रूप में देखा जाता है। यही कारण है कि इस चुनाव में लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया । चुनाव आयोग के निर्देश पर मतदाताओं के लिए चलाए गए जागरूकता अभियान का भी व्यापक असर देखने को मिला जिससे मतदान की प्रतिशत में इजाफा हुआ ।
इस बार के चुनाव में राजनीतिक पार्टियों ने महिलाओं के लिए कई तरह की योजनाएं लाने की बात अपने घोषणा पत्र में कही है। यही कारण है कि इस बार के चुनाव में महिला मतदाताओं ने रिकार्ड मतदान कर पुरुषों को भी काफी पीछे छोड़ दिया है। यानि महिला वोटर्स ने जिसका भी साथ दिया होगा वो सत्ता के उतने ही करीब होगा। छत्तीसगढ़ निर्वाचन दफ्तर से मिले आंकडे बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 76.31 फीसदी वोट प्रतिशत रहा है। प्रदेश की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 50 सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा मतदान किया है।

प्रदेश में दो फेज में हुए चुनाव में कुल 1 करोड़ 55 लाख 61 हजार 460 वोटर्स ने वोट किया, जिसमें से 77 लाख 48 हजार 612 पुरुष मतदाता और 78 लाख 12 हजार 631 महिला वोटर्स शामिल रहे हैं, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। बीते चुनाव यानि 2018 में 34 विधानसभा सीटों पर महिलाओं के मतदान का आंकड़ा पुरुषों से ज्यादा था, जबकि 2013 में केवल 18 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा संख्या में वोट डाले थे। जाहिर है मतदान को लेकर जागरूकता के लिहाज से ये उत्साह जनक स्थिती है, लेकिन इसका नतीजों पर क्या असर पड़ेगा, इसपर सियासी पंडितों का अपना-अपना नजरिया रूख है।

इधर, पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं इस बारे में भाजपा मानती है कि उनके मेनिफेस्टो में महतारी वंदन योजना के तहत विवाहित महिलाओं को सालाना 12 हजार रुपए देने का वादे के चलते ही महिलाओं ने ज्यादा वोट किया और भाजपा को ही इसका लाभ होगा। तो दूसरी तरफ कांग्रेस को लगता है कि उसकी गृह लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं ने 15 हजार रुपए सालाना मिलने के ऐलान के बाद महिलाओं के बढ़े प्रतिशत का साथ, कांग्रेस को ही होगा।