जयपुर। राजस्थान में उपमुख्यमंत्री के पद को लेकर क़ानूनी लड़ाई छिड़ गई है। इस पद पर डॉ. प्रेम चंद बैरवा और दीया कुमारी के शपथ लेने को असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर चुनौती दी गई है।

अधिवक्ता ने दायर की याचिका

बीते 15 दिसंबर को जयपुर में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के साथ ही उपमुख्यमंत्री पद पर डॉ प्रेम चंद बैरवा और दीया कुमारी ने शपथ ली। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी समेत कई केंद्रीय मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री भी शरीक हुए।

शपथ ग्रहण के अगले ही दिन सोलह तारीख़ को एडवोकेट ओम प्रकाश सोलंकी ने उपमुख्यमंत्री पद को असंवैधानिक बताते हुए इसके ख़िलाफ़ कोर्ट में याचिका दायर की है। फिलहाल इस मामले में सुनवाई के लिए तारीख़ तय नहीं हुई है।

याचिका दायर करने वाले एडवोकेट ओम प्रकाश सोलंकी ने मीडिया को बताया है कि, “मैंने सोलह दिसंबर को राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में जनहित याचिका प्रस्तुत की है। राजस्थान सरकार में उप मुख्यमंत्री पद पर नियुक्त किए गए दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा के उप मुख्यमंत्री पद को चुनौती दी गई है।”

संविधान में नहीं है इस पद का उल्लेख

एडवोकेट सोलंकी ने बताया कि, “उपमुख्यमंत्री पद का संविधान में कहीं कोई उल्लेख नहीं है। यह केवल मात्र राजनीतिक पद है, जो कि असंवैधानिक है।”

कांग्रेसियों ने भी उठाया सवाल

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी उपमुख्यमंत्री पद पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने शपथ ग्रहण से एक दिन पूर्व ही सोशल मीडिया साइट एक्स (ट्विटर) पर लिखा, “शपथ ग्रहण समारोह के सरकारी निमंत्रण पत्र में मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण का विवरण लिखा गया है। जबकि, संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 में ऐसे किसी पद की शपथ का विवरण नहीं है।”

बीजेपी सरकार में नियुक्त उपमुख्यमंत्री पद का मामला हाईकोर्ट पहुंचने पर प्रदेश कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी कहते हैं, “याचिका दायर हो गई है और न्यायालय के सामने यह मामला पेंडिंग है। संविधान में इसके क्या प्रावधान हैं शीघ्र ही न्यायालय से इसकी व्याख्या सामने आएगी।” इस पूरे मामले पर फिलहाल तक बीजेपी की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।