मास्‍को। यूक्रेन युद्ध के बीच रूस पश्चिमी देशों के कड़े प्रतिबंधों की मार झेल रहा है जिससे कई मोर्चे पर उसे जूझना पड़ रहा है। महासंकट की इस घड़ी में रूस ने अपने दशकों पुराने दोस्‍त भारत के साथ व्‍यापार को प्राथमिकता दी। इसी पहल का नतीजा यह हुआ कि अब भारत को रूस का निर्यात साल 2022 में बढ़कर 32.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया। वहीं रूसी-एशियाई बिजनस काउंसिल के विश्‍लेषकों का मानना है कि भारत और रूस के बीच व्‍यापार साल 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह अभी पिछले 10 महीने में 54.7 अरब डॉलर है। भारत और रूस के बीच यह व्‍यापार तब बढ़ रहा है जब अमेरिका ने पिछले दो साल में कई बार नई दिल्‍ली को रूस से ट्रेड करने या तेल खरीदने पर धमकी दी है।

‘धमकी से बेपरवाह भारत’

भारत अमेरिकी धमकी से बेपरवाह होकर लगातार रूस से व्‍यापार कर रहा है। भारत को रूस बेहद सस्‍ते दामों में तेल दे रहा है। यही नहीं इस छूट में और ज्‍यादा वृद्धि होने जा रही है। कोम्‍मेरसंत की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2030 तक भारत को रूस का निर्यात 95 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। वहीं भारत से रूस का आयात भी अभी के 2.5 अरब डॉलर से बढ़कर साल 2030 तक 20 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। साल 2022 के पहले तक भारत और रूस के बीच व्‍यापार बहुत ही कम होता था। रूस के राष्‍ट्रपति पुतिन ने भी भारत के साथ दोस्‍ती और पीएम मोदी की जमकर तारीफ की है।

शीर्ष व्‍यापारिक साझीदारों में शामिल हुआ रूस

इसके बाद यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ और रूस को पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद अपने निर्यात को एशिया में बढ़ावा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे पहले रूस के भारत में राजदूत डेनिस अलिपोव ने भारत सरकार के आंकड़े के आधार पर कहा था कि भारत और रूस के बीच कुल व्‍यापार अभी साल 2023 के पहले 10 महीने में 54.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। रूस इस समय भारत के शीर्ष 4 व्‍यापारिक साझीदारों में शामिल हो गया है। रूस भारत को सबसे ज्‍यादा ऊर्जा संसाधन का निर्यात कर रहा है।

वहीं रूस ने भारत से फार्मास्युटिकल और केमिकल प्रॉडक्‍ट का आयात बढ़ाया है। फरवरी 2022 के बाद भारत रूस के लिए तेल और कोयले के सबसे बड़े खरीदारों में शामिल हो गया है। विश्‍लेषकों का अनुमान है कि आने वाले समय में इसमें और ज्‍यादा मांग बढ़ने वाली है। इसके अलावा रूस फर्टिलाइजर, मशीनरी, उपकरणों, लकड़ी के प्रॉडक्‍ट और धातुओं का निर्यात भारत को बढ़ाने जा रहा है। वहीं भारत का भी रूस को निर्यात तेजी से बढ़ने जा रहा है। इसमें फार्मास्युटिकल कंपनियों के अलावा, केमिकल तथा सीफूड के निर्यात में तेजी आने की उम्‍मीद है। बता दें कि अमेरिकी प्रतिबंधों के डर की वजह से भारत की कई कंपनियां रूस के बाजार से निकल गई हैं, इस वजह से भारत के लिए व्‍यापार में असंतुलन बना हुआ है। इसके अलावा रुपये में व्‍यापार नहीं होना भी इस घाटे को बढ़ा रहा है। रूस अब भारत में निवेश भी बढ़ा रहा है।