रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार में धर्मस्व मंत्री रहे बृजमोहन अग्रवाल ने राजिम के मांघी पुन्नी मेले को महाकुंभ का दर्जा दिया था जिसके बाद राजिम कुंभ को देशभर में एक अलग पहचान मिलने लगी थी। इसी बीच प्रदेश में भाजपा की सरकार बदल गई थी और कांग्रेस की सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राजिम महाकुंभ का नाम भी बदल दिया गया। अब छत्तीसगढ़ में भाजपा ने कांग्रेस की सरकार बदल दी है जिसके बाद राजिम के मांघी पुन्नी मेले का नाम बदल कर पुनः महाकुंभ रखने की तैयारी की जा रही है।
सीएम विष्णुदेव साय की अगुवाई में आज छत्तीगसढ़ सरकार के कैबिनेट की मीटिंग नया रायपुर स्थित मंत्रालय में होने जा रही है। यह मीटिंग इसलिए भी खास हैं क्योंकि मंत्रियों को विभागों के आबंटन के बाद यह पहली बैठक है। इस बैठक में मंत्रियों को उनके विभाग से परिचय कराते हुए उनके दायित्वों की जानकारी दी जाएगी।

साय कैबिनेट में आज मोदी की गारंटी पर गहनता से चर्चा होगी, कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव लाये जायेंगे। जिन दो योजनाओं पर कैबिनेट गंभीरता से मंथन करेगी उनमे महतारी योजना और गरीबों को 500 रुपये में सिलेंडर योजना प्रमुख हैं। इन दोनों योजनाओं को किस तरह अमलीजामा पहनाया जाए और इसका लाभ किस तरह समाज के अंतिम छोर तक पहुंचे इस पर मंत्री और अफसरों के बीच भी वार्ता होगी।

लेकिन इन सबके बीच साय सरकार पूर्ववर्ती भूपेश बघेल के एक पुराने फैसले को पलटने की तैयारी में जुटी हुई है। यह फैसला प्रदेश के संस्कृति और पर्यटन से जुड़ा हैं। दरअसल साय सरकार एक बार फिर से राजिम मेले को कुम्भ का दर्जा दिए जाने की तैयारी में हैं। पिछली बार कांग्रेस की सरकार बनते ही भूपेश सरकार ने प्रस्ताव लाकर राजिम कुम्भ का नाम राजिम पुनी मेला कर दिया था। तब पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर हंगामा हुआ था। कांग्रेस ने सरकार बनाने के बाद दावा किया कि वे मेले के प्राचीन नाम को बहाल कर रहे हैं। कांग्रेस ने तर्क दिया था कि प्राचीन नाम राजिम माघ पुन्नी मेला था न कि राजिम कुंभ और 2006 में भाजपा सरकार ने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नाम बदलकर इसे कुंभ मेला कर दिया।