Lucknow, Aug 23 (ANI): Bahujan Samaj Party (BSP) chief Mayawati holds a meeting with party leaders to step up preparations for the 2024 Lok Sabha elections, at the party office, in Lucknow on Wednesday. (ANI Photo)

लखनऊ। बसपा की मुखिया मायावती ने एक बार फिर सपा पर तीखा हमला बोला और सुरक्षा पर खतरा बताते हुए नए कार्यालय की मांग सरकार से की है।

बसपा मुखिया ने सोशल मीडिया मंच एक्स के माध्यम से लिखा कि सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ दलित-विरोधी पार्टी भी है, हालांकि बीएसपी ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेण्डे पर आ गई।

उन्होंने आगे कहा कि अब सपा मुखिया जिससे भी गठबन्धन की बात करते हैं उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है, जिसे मीडिया भी खूब प्रचारित करता है। वैसे भी सपा के 2 जून 1995 सहित घिनौने कृत्यों को देखते हुए व इनकी सरकार के दौरान जिस प्रकार से अनेकों दलित-विरोधी फैसले लिये गये हैं।

मायावती ने इस वजह से बताया खतरा..

बसपा मुखिया ने कहा कि बीएसपी यूपी स्टेट ऑफिस के पास ऊंचा पुल बनाने का कृत्य भी है जहां से षड्यन्त्रकारी अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों व राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुंचा सकते हैं, जिसकी वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहां से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर शिफ्ट करना पड़ा।

मायावती ने कहा कि इस असुरक्षा को देखते हुए सुरक्षा सुझाव पर पार्टी प्रमुख को अब पार्टी की अधिकतर बैठकें अपने निवास पर करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि पार्टी दफ्तर में होने वाली बड़ी बैठकों में पार्टी प्रमुख के पहुँचने पर वहां पुल पर सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती करनी पड़ती है।

उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में बीएसपी यूपी सरकार से वर्तमान पार्टी प्रदेश कार्यालय के स्थान पर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर व्यवस्था करने का भी विशेष अनुरोध करती है, वरना फिर यहां कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। साथ ही, दलित-विरोधी तत्वों से भी सरकार सख़्ती से निपटे, पार्टी की यह भी मांग है।

तब लखनऊ के गेस्ट हाउस में क्या हुआ था..?

1995 में यूपी में सपा की सरकार थी और लखनऊ के गेस्ट हाउस में मायावती पर हमले की कोशिश की गई थी। उस समय राम जन्मभूमि आंदोलन पीक पर था लेकिन सपा-बसपा गठबंधन ने 1993 में भाजपा को यूपी जीतने से रोक दिया। हालांकि यह गठबंधन 2 साल ही चल सका। 2 जून 1995 को बसपा ने गठबंधन से अलग होने का ऐलान किया। ऐसे में नाराज कुछ सपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़ ने लखनऊ में मीराबाई गेस्ट हाउस में धावा बोल दिया जहां मायावती अपने विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि गेस्ट हाउस में काफी तोड़फोड़ की गई थी और मायावती को एक कमरे में बंद होना पड़ा था।