शासकीय मान लिया गया है, मगर पूर्णरूपेण दर्जा अप्राप्त

रायगढ़। वित्त मंत्री ओपी चौधरी से अग्निशमन कर्मचारियों ने मुलाकात कर संविलियन की मांग की। लिखित में अपनी आर्थिक, पारिवारिक, समस्याआ्ं से अवगत कराते हुए संविलियन की मांग की है।

अग्निशमन इकाई को तो शासकीय मान लिया गया है, मगर कर्मचारियों को पूर्णरूपेण यह दर्जा आज पर्यन्त अप्राप्त है। ऐसे में, अधर की स्थिति में अटके अग्निशमन कर्मचारियों को अपनी सेवाएं प्रदाय करने के अतिरिक्त अपने पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

आपदाओं के दौरान जान की बाजी लगा कर आमजन के जीवन रक्षण में सेवाएं देने वाले अग्निशमन योद्धाओं ने दशकों से लंबित मांगों और समस्याओं के निदान के लिए वित्त मंत्री एवम् स्थानीय विधायक ओ.पी. चौधरी के समक्ष ज्ञापन सौंप कर दी प्रस्तुति।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अग्निशमन दल की जिला इकाई रायगढ़ ने 04 प्रमुख बिन्दुओं में आवेदन कर अनुरोध दर्ज कराया है, जिसमें खासतौर पर नगर पालिका, नगर निगम और नगर पंचायत से प्रतिनियुक्ति पर संलग्न किए गए नियमित अग्निशमन कर्मचारियों के संविलियन और अस्थाई रूप से सेवा प्रदाता कर्मचारियों के नियमितिकरण सहित एक माह के वेतन का अग्रिम भुगतान व जोखिम भत्ता प्रदाय करने जैसी मांगें निहित हैं।

बताया जा रहा है कि उक्त समस्याएं राज्य शासन, जिला प्रशासन, राज्य एवं जिला स्तर पर नगर सेना और निगमों के आला आधिकरियों के समक्ष विगत कई वर्षों से लगातार संचारित हो रहे प्रत्राचार के बावजूद जस की तस बरकरार हैं।

बता दें कि पूर्व में वर्ष 2018 में जिले भर से कुल 21 पदों पर तात्कालिक रूप से नियमित अग्निशमन कर्मचारियों को महज दो वर्षों के लिए ही प्रतिनियुक्ति पर संलग्न किया गया था, किन्तु उनके संदर्भ में आज पर्यन्त संविलियन संबंधित आगामी ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ, जिससे उन्हें राहत मिल सके।

इधर, वर्ष 2017 सत्र में नगर सेना एवं नागरिक सुरक्षा मुख्यालय छत्तीसगढ़ की ओर प्रेषित ज्ञापन में भी नियमित एवं अनियमित रूप से ठेके आदि पर अग्निशमन सेवाएं प्रदाय कर रहे कर्मचारियों की नियमित एवं प्रतिनियुक्ति के मामले में भी ठोस स्पष्टीकरण नहीं मिल सका।

वहीं, कर्मचारियों का यह भी कहना है कि वर्ष 2017 में सामान्य प्रशासन एवं गृह विभाग की आपसी सहमति से नगर पालिक निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत अंतर्गत संचालित अग्निशमन विभाग व कर्मचारियों को नगर सेना में हस्तांतरित किया गया था।