अयोध्या। 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं। राम मंदिर में कौन सी मूर्ति स्थापित की जाएगी, इसका ऐलान हो गया है। कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा कृष्णशिला पर निर्मित मूर्ति का चयन किया गया है, जो कि रामलला सरकार के श्री विग्रह के रूप में लगेगी।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की मूर्ति को राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना गया है। उन्होंने कहा कि रामलला की वर्तमान मूर्ति को भी नए मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा।

अरुण योगीराज की तारीफ में कही ये बात

अरुण योगीराज की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि कई पीढ़ियों से उनका परिवार मूर्ति निर्माण कार्य में लगा है। केदारनाथ में शंकराचार्य जी की प्रतिमा और दिल्ली में सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी इसी नौजवान ने बनाई है। अरुण बहुत कम उम्र का है। वो अत्यंत विनम्र और हंसमुख है। जिस तरह से उसने यह जीवन जिया है, आप सोच नहीं सकते। उसने अपने परिवार से 15-15 दिन बात तक नहीं की। ट्रस्ट उसकी एकाग्रता और काम की प्रशंसा करता है।

गौरतलब है कि साल 1949 से श्रद्धालु रामलला की प्रतिमा वाले अस्थायी मंदिर में पूजा-अर्चना करते रहे हैं। नए मंदिर में लगने वाली मूर्ति पर तीन मूर्तिकार काम कर रहे थे। उन्होंने अलग-अलग पत्थरों पर अलग-अलग काम करके मूर्तियां बनाई हैं। उनमें से दो के लिए पत्थर कर्नाटक से आए थे। तीसरी मूर्ति राजस्थान से लाई गई चट्टान से बनाई जा रही थी।

मूर्तियों की नक्काशी जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे और कर्नाटक के गणेश भट्ट और अरुण योगीराज ने की थी। बीते दिनों ट्रस्ट के अधिकारियों ने कहा था, गर्भगृह के लिए मूर्ति का चयन करते समय उसकी चमक लंबे समय तक टिके रहने जैसे पहलुओं पर एक तकनीकी रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा जाएगा।

येदियुरप्पा के बयान के बाद शुरू हुई थी चर्चा

दरअसल, येदियुरप्पा ने बीते दिनों सोशल मीडिया पर लिखा था- ‘मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई भगवान राम की मूर्ति को अयोध्या के भव्य श्री राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना गया है, जिससे राज्य के सभी राम भक्तों का गौरव और खुशी दोगुनी हो गई है। शिल्पी योगीराज अरुण को हार्दिक बधाई’। येदियुरप्पा के बेटे और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने भी योगीराज की सराहना की थी।

हालांकि, येदियुरप्पा के बयान के बाद योगीराज ने एक न्यूज एजेंसी को बताया था कि उन्हें अभी तक उनकी मूर्ति स्वीकार किए जाने के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली। उन्होंने कहा- ‘मुझे खुशी है कि मैं देश के उन तीन मूर्तिकारों में शामिल था, जिन्हें ‘रामलला’ की मूर्ति तराशने के लिए चुना गया था।