बिलासपुर। जिला दंडाधिकारी अवनीश शरण ने आदेश प्रसारित करते कहा है कि लोक संबोधन प्रणाली अंतर्गत उपयोग आने वाली ध्वनि प्रणालियों में ध्वनि सीमक (साउंड लिमिटर) यंत्र लगाना अनिवार्य किया गया है। ध्वनि सीमक यंत्र ध्वनि प्रणाली का आवश्यक हिस्सा होगा। ध्वनि सीमक यंत्र के बगैर कोई दुकानदार किराये पर ध्वनि प्रणाली वाले उपकरणों को नहीं दे सकेगा। खरीदी-बिक्री सहित तमाम स्थापना पर ध्वनि सीमक यंत्र लगाना जरूरी होगा।

अधिकारियों को आदेश का पालन करने के निर्देश

बिलासपुर कलेक्टर ने उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में ध्वनि प्रदूषण के रोकथाम के लिए इस आशय का आदेश जारी किया है। कलेक्टर ने आज जारी आदेश में यह भी कहा है कि सभी अनुज्ञा (अनुमति) देने वाले प्रभारी अधिकारी जिसमें कार्यपालिक मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत एवं पंचायत सम्मिलित है। यह सुनिश्चित करें कि ध्वनि सीमक यंत्र के बिना कोई भी ध्वनि प्रणाली एवं लोक संबोधन प्रणाली शासकीय एवं गैर शासकीय कार्यक्रमों में स्थापित नहीं किये जाए एवं किराये पर भी नहीं लगाये जाएं। संबंधित एजेंसियों द्वारा सभी अनुज्ञप्तियों में इस शर्त को अनिवार्य रूप सम्मिलित किया जाए। कलेक्टर ने इस आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिए है।

4 साल पहले जारी हो चुकी है अधिसूचना

दरअसल यह मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा स्वत संज्ञान में ली गई ध्वनि प्रदूषण से संबंधित जनहित याचिका से जुड़ा है, जिसकी सुनवाई 5 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविन्द कुमार की युगल पीठ के समक्ष हुई।

सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि छत्तीसगढ़ शासन ने 4 नवंबर 2019 को प्रत्येक साउंड सिस्टम और पब्लिक एड्रेस सिस्टम में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए साउंड लिमिटर लगाना अनिवार्य कर दिया है। अधिसूचना के अनुसार कोई भी निर्माता या व्यापारी या दुकानदार या एजेंसी, ध्वनि सिस्टम या पब्लिक एड्रेस सिस्टम को बिना साउंड लिमिटर (ध्वनि सीमक) के विक्रय या क्रय या उपयोग या इनस्टॉल नहीं कर सकता और ना ही किराए पर दे सकता है।

कोर्ट ने की टिप्पणी “है सब चीज पर सब कागजों में है”

इस अधिसूचना देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि ”है सब चीज पर सब कागजों में है।” कोर्ट ने इस अधिसूचना पर प्रदेश भर में की गई कार्यवाही को लेकर मुख्य सचिव से शपथ पत्र मांगा है कि इस अधिसूचना का पालन शब्दश: और भावना अनुरुप क्यों नहीं किया गया है। प्रकरण की अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी।

ध्वनि प्रदूषण को लेकर कोर्ट द्वारा शपथ पत्र मांगे जाने के बाद से ही प्रशासन में हलचल शुरू हो गई है। और अब इसी के मद्देनजर प्रदेश में सबसे पहले बिलासपुर कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी अवनीश शरण ने साउंड लिमिटर लगाने का आदेश जारी किया है।

क्या होता है साउंड लिमिटर..?

साउंड लिमिटर एक प्रकार का छोटा सा उपकरण होता है जो कि ध्वनि विस्तारक यंत्रों के एम्प्लीफायर में लगाया जाता है, जिसके लगाने के बाद निर्धारित डेसीबल से ज्यादा ध्वनि निकलने पर ध्वनि विस्तारक यंत्र अपने आप बंद हो जाता है और कुछ साउंड लिमिटर ऐसे भी आते हैं जिसके कारण ध्वनि विस्तारक यंत्र अगर बंद हो जाते हैं तो 60 मिनट तक दोबारा चालू नहीं होते।

उल्लंघन करने पर क्या है सजा का प्रावधान..?

अधिसूचना पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत जारी की गई है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत बने नियमों का उल्लंघन करने पर 5 साल की सजा या रु एक लाख का फाइन या दोनों लगाया जा सकता है और अगर नियमों का उल्लंघन जारी रहता है, तो प्रतिदिन रुपए 5000 का फाइन और लगाया जा सकता है।

संगठन ने की है ये मांग

ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाये गए कानून को लागू करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति के समिति के डॉक्टर राकेश गुप्ता ने मुख्य सचिव से मांग की है कि प्रदेश के पूरे शहरों में गांव में जगह-जगह डीजे लगी गाड़ियां खड़ी है, इनके सभी ध्वनि विस्तारक यंत्र तत्काल जप्त कर लेने का आदेश जारी किया जाए और जब भी सड़कों पर डीजे बजे तत्काल ध्वनि विस्तारक यंत्रों और वाहनों की जप्ती की कार्यवाही होनी चाहिए। पर्यावरण (संरक्षण) मंडल को दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के आदेश जारी किए जाने चाहिए।