नक्सल कमांडर हिड़मा की मां से मिले जवान

सुकमा। सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के हेड क्वार्टर पर कब्जा किया और पहली बार यहां तिरंगा फहराया, वहीं नक्सली कमांडर हिड़मा की मां से सुरक्षाबलों के अधिकारी मिले। इस दौरान नक्सली कमांडर हिड़मा की मां को तमाम बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने का आश्वासन दिया गया। बस्तर में नक्सलियों का हेडक्वार्टर कहे जाने वाले पूवर्ती गांव में जवान पहुंच गए हैं। यह गांव नक्सलियों के बटालियन चीफ रहे और वर्तमान में सेंट्रल कमेटी के सदस्य माड़वी हिड़मा का है।

नक्सलियों के हेडक्वार्टर ‘पूवर्ती’ में जब सुरक्षाबल की टीम पहुंची। यहां पहुंचते ही CRPF, DRG, STF और कोबरा ने संयुक्त कैंप स्थापित किया है। जवानों के पूवर्ती गांव में आते ही के सारे पुरूष और युवक गांव छोड़ जंगल में भाग गए हैं।

सुरक्षाबलों ने सभी को गांव लौटने की अपील की है। गांव को चारों ओर से जवानों ने घेर रखा है और गांव ग्रामीणों को पुरी सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है। इस दौरान एसपी किरण चव्हाण सीआरपीएफ कमांडेंट सारंग और कोबरा कमांडेंट उपेंद्र मौजूद रहे।

बेहद शातिर और निर्दयी हिड़मा
माना जाता कि माड़वी हिड़मा वर्ष 2001 से नक्सलियों से जुड़कर काम कर रहा है। वह बेहद शातिर और निर्दयी है। वर्ष 2004 से वह 27 से अधिक हमलों का वह नेतृत्व कर चुका है. 2013 के झीरम हमले में भी वह शामिल था, जिसमें कांग्रेस ने कई वरिष्ठ नेताओं की मौत हुई थी। अप्रैल 2017 के बुकार्पाल में हुए हमले में सीआरपीएफ के 24 जवान शहीद हुए थे। दंतेवाड़ा हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे।

दंतेवाड़ा हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे। हिड़मा को अप्रैल 2017 के बुकार्पाल हमले का भी मास्टरमाइंड माना जाता है, जिसमें 24 लोग शहीद हुए थे। बताया जाता है कि वह हमेशा चार स्तरीय सुरक्षा घेरे में चलता है।