टीआरपी डेस्क। हिमाचल प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं। इसकी शुरुआत राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के साथ हुई। कांग्रेस के 6 विधायकों ने बागी रुख अपनाते हुए भाजपा को वोट किया। तभी तय हो गया था कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के लिए आने वाले समय मुश्किल भरा हो सकता है।

कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व एक्शन मोड में है। माना जा रहा है कि सुक्खू को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है। हालांकि यह इतना आसान नहीं होगा। बताया जाता है कि कुछ समय पहले भी सुक्खू को हटाने की कोशिश की गई थी, लेकिन तब कांग्रेस के 40 में से 20 विधायकों ने मुख्यमंत्री का साथ दिया था।

कुल मिलाकर कांग्रेस के पास सबसे अच्छा विकल्प यही है कि चाहे मुख्यमंत्री बदलना पड़े, लेकिन विधायकों को मना लिया जाए। तभी सरकार बची रह सकती है। दूसरी ओर, भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में तभी आ सकती है कि तब कांग्रेस के और विधायक टूटकर आए। दल-बदल कानून से बचने के लिए दो तिहाई विधायकों को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आना जरूरी है।

यदि पर्याप्त संख्या में विधायक टूटकर नहीं आते हैं और भाजपा सरकार बनाने योग्य बहुमत नहीं जुटा पाती है तो राष्ट्रपति शासन लगेगा। बता दें कि हिमाचल में कुल 68 सीटें है। जिसमें सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 35 होना चाहिए। वहीं कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं जिनमें से 6 फिलहाल तक बागी हो गए हैं। वहीं भाजपा के पास 25 विधायक हैं अगर भारतीय जनता पार्टी निर्दलीय 4 विधायकों को अपने खेमें में लेती है तो भी उन्हें बहुमत के लिए कांग्रेस के विधायकों को तोड़ना होगा।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू
 पर