पिछले तीन चुनाव में दो बार महंत परिवार ने चुनाव जीता है। 2009 में डॉ. महंत और 2019 में ज्योत्सना महंत यहां से सांसद बनी हैं। इस बार भी ज्योत्सना ही कांग्रेस की प्रत्याशी हैं। भाजपा ने दुर्ग की सरोज पांडे को कोरबा से प्रत्याशी बनाया है। वे दुर्ग से 2009 में सांसद रह चुकी हैं। इसके अलावा 2018 में भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा था।

रायपुर। लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की कोरबा सीट ऐसी सीट है, जिसके लिए चौथी बार चुनाव हो रहे हैं। 2008 में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट पर अस्तित्व में आई कोरबा सीट में पहला चुनाव 2009 के आमचुनावों में ही हुआ। तब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष रहे डॉ. चरणदास महंत को कोरबा से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था। 1998 और 1999 में जांजगीर से दो बार सांसद रह चुके महंत ने भाजपा की करुणा शुक्ला को हराया। करुणा भी जांजगीर से 2004 में लोकसभा चुनाव जीती थीं और उन्होंने डॉ महंत को ही हराया था। इस वजह से डॉ. महंत के खिलाफ उन्हें उतारा गया। नई कोरबा सीट से जांजगीर से ही सांसद रह चुके दोनों पार्टी के प्रत्याशियों को उतारा गया था। 1998 सीट से अनारक्षित जांजगीर सीट से चला आ रहा महंत परिवार का दबदबा 2009 के बाद से लगातार कोरबा पर कायम है। इस सीट पर अब तक तीन चुनाव हो चुके हैं, जिसमें एक बार डॉ. महंत और एक बार उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत जीतीं। 2009 में जीतने के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में डॉ. महंत भाजपा के प्रत्याशी डॉ. बंशीलाल महतो से 4265 वोटों से हार गए। इसके बाद 2019 के चुनावों में एक बार फिर ज्योत्सना महंत ने भाजपा प्रत्याशी ज्योति नंद दुबे को हराते हुए महंत परिवार का दबदबा कायम किया। 2024 में कांग्रेस ने एक बार फिर सांसद ज्योत्सना महंत पर ही दांव लगाया है। इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से अब तक महंत परिवार से ही प्रत्याशी उतरे हैं, जबकि भाजपा ने हर बार नया प्रत्याशी यहां उतारा है। इस बार दुर्ग की सांसद रह चुकीं सरोज पांडे पर भाजपा ने दांव लगाया है।

2009 : करुणा 20737 वोट से हारीं, इससे ज्यादा वोट तीसरे और चौथे नंबर के प्रत्याशी को मिले

कोरबा सीट के लिए अब तक हुए तीनों चुनावों पर नजर डालें तो हर बार यहां टक्कर का मुकाबला हुआ है। हर बार जीत के अंतर से ज्यादा वोट तीसरे नंबर पर रहने वाले कैंडिडेट को मिला है। हर बार यहां से गोड़वाना गणतंत्र पार्टी (गोगपा) के अध्यक्ष हीरासिंह मरकार के परिवार से ही कोई न कोई प्रत्याशी बना है। लगातार दो चुनावों में हीरासिंह मरकाम यहां से प्रत्याशी रहे और जीत हार का बड़ा कारण बनें। 2009 में महंत यहां से 20737 वोटों से जीते, तब महंत को 314616 वोट मिले, वहीं दूसरे नंबर पर रहने वाली करुणा शुक्ला को 293879 वोट मिले। वहीं, तीसरे नंबर पर रहने वाले हीरा सिंह मरकाम को 32961 वोट मिले तो चौथे नंबर पर रहने वाले शंभूप्रसाद शर्मा को 23136 वोट मिले।

2014 : 4265 वोट से हारे महंत, तीसरे नंबर पर रहने वाले हीरासिंह मरकाम को  52753 वोट मिले

2014 में इस सीट पर हुए दूसरी बार के चुनाव में तात्कालीन सांसद चरणदास महंत भाजपा के बंशीलाल महतो से 4265 वोटों से हार गए। डॉ. महतो को 439002 वोट मिले तो डॉ. महंत को 434737 वोट मिले। वहीं, तीसरे नंबर पर रहने वाले हीरासिंह मरकाम 52753 वोट मिले थे। कहा जा रहा था कि मरकाम ने ज्यादातर वोट महंत के काटे हैं। महंत से नाराज लोगों ने ही मरकाम को वोट किया है। कोरबा में आने वाले पाली-तानाखार सीट पर मरकाम का दबदबा है और वे ही जीत-हार का गणित तय करते हैं।

2019 : भाजपा ने नए चेहरे पर लगाया दांव, लेकिन महंत का चेहरा पड़ा भारी

कोरबा सीट के लिए 2019 में बीजेपी ने तात्कालीन सांसद बंशी लाल महतो की टिकट काट दी थी। उनकी जगह नए चेहरे ज्योति नंद दुबे पर दांव लगाया था, लेकिन इस चेहरे पर महंत का चेहरा भारी पड़ गया। महंत के नाम से ही ज्योत्सना को वोट मिल गए और वे जीत गईं। उन्हें 523410 वोट मिले, जबकि ज्योति नंद को 497061 वोट मिले। जीत का अंतर 26349 रहा। इस बार गोड़वाना गणतंत्र पार्टी से हीरा सिंह मरकाम के बेटे तुलेश्वर हीरा सिंह मरकाम ने चुनाव लड़ा और 37417 वोट हासिल किए। यहां भी जीत का अंतर से ज्यादा वोट तीसरे नंबर पर रहने वाले प्रत्याशी को मिल गए।

सारंगढ़ को भंग कर बनाई गई कोरबा सीट, बिलासपुर और कोरिया की भी सीट शामिल

सारंगढ़, जांजगीर और बिलासपुर सीट का परिसीमन कर यह कोरबा सीट बनाई गई थी। तब सारंगढ़ अनुसूचित जाति आरक्षित सीट था, जांजगीर और बिलासपुर अनारक्षित सीट हुआ करती थी। सारंगढ़ सीट को भंग कर कोरबा बनाई गई और जांजगीर को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर कोरबा को अनारक्षित कर दिया गया। इसमें बिलासपुर और कोरिया जिले के विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया और कोरबा सीट बनाई गई। कोरबा में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। कोरबा जिले की 4 सीटों कोरबा, कटघोरा, रामपुर, पाली-तानाखार के अलावा तात्कालीन बिलासपुर जिले की मरवाही (अब जीपीएम जिले में) और तात्कालीन कोरिया जिले की तीनों भरतपुर-सोनहत, मनेंद्रगढ़ और बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्रों से यह लोकसभा क्षेत्र तैयार किया गया।

इस बार महंत परिवार के लिए चुनौती क्योंकि 8 में 6 सीटों पर भाजपा के विधायक

अब तक कोरबा पर अपना दबदबा बनाने वाले महंत परिवार के लिए यह चुनाव चुनौतियों वाला है, क्योंकि कोरबा में आने वाली 8 विधानसभा सीटों पर भाजपा के 6 विधायक हैं। एक सीट पर कांग्रेस और एक सीट पर गोगपा के विधायक हैं। कोरिया और मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर दो जिले में आने वाले तीनों सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। कोरबा जिले की 4 में से दो सीट कोरबा, कटघोरा से भी भाजपा विधायक है। कोरबा की आरक्षित रामपुर सीट से कांग्रेस के फूल सिंह राठिया और जीपीएम जिले की मरवाही सीट से भाजपा का विधायक है। ऐसे में इस बार महंत परिवार के लिए जीत बड़ी चुनौती बनी हुई है।