नई दिल्ली। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने आज राजस्थान से राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ ली। इस दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा उनसे मिलने पहुंचे। सोनिया गांधी के अलावा केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव सहित 14 अन्य नेताओं ने राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ ली है। नए संसद भवन में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इन सभी नेताओं को शपथ दिलाई। जहां एक तरफ सोनिया गांधी ने राजस्थान से तो वहीं अश्विनी वैष्णव ने ओडिशा से राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ ली।

कांग्रेस नेता अजय माकन ने कर्नाटक से, भाजपा नेता आरपीएन सिंह उत्तर प्रदेश से, भाजपा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ ली है। वाईएसआरसीपी के गोला बाबू, मेधा रघुनाथ रेड्डी, येरुम वेंकट सुब्बा रेड्डी ने आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों के रूप में शपथ ली है। शपथ समारोह के बाद इन सभी ने राज्यसभा के अध्यक्ष के साथ तस्वीर भी खिंचवाईं।

सोनिया गांधी पहली बार राज्यसभा सांसद बनीं

बता दें कि सोनिया गांधी ने पहली बार राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ ली है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी राज्यसभा के लिए राजस्थान से निर्विरोध चुनी गई थीं। लंबे अरसे बाद ऐसा हुआ जब नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ लिया है।

लगातार जीता लोकसभा चुनाव

सोनिया गांधी के सियासी सफर पर बात करें तो 1999 से वह लगातार लोकसभा चुनाव जीतती रही हैं और इसकी सदस्य बनी हुई हैं। 1999 में सोनिया उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचीं। इसके बाद 2004 में उनके बेटे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी राजनीति में कदम रखा। राहुल अमेठी सीट से चुनाव मैदान में उतरे और सोनिया रायबरेली सीट से चुनाव मैदान में उतरीं। रायबरेली वही सीट थी जहां से कभी सोनिया की सास इंदिरा गांधी चुनाव लड़ा करती थीं। 2004, 2009, 2014 और 2019 में लगातार चार बार रायबरेली सीट से सोनिया लड़ीं और जीतीं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सोनिया राज्यसभा जा रही हैं। इससे यह तय हो गया है कि 57 साल बाद नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य राज्यसभा जाएगा।

नेहरू-गाँधी परिवार से अब तक केवल दो राज्य सभा सदस्य

सोनिया गांधी से पहले नेहरू-गांधी परिवार के सिर्फ दो सदस्य ही राज्यसभा सदस्य रहे हैं। दोनों ही महिलाएं थीं। इनमें से एक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी, जबकि दूसरी उमा नेहरू थी। दरअसल, उमा नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के चचेरे भाई की पत्नी थी। उमा का कार्यकाल 1962-1963 में रहा था। वहीं, 1964 में इंदिरा गांधी राज्यसभा पहुंची। इंदिरा गांधी 1964 से 1967 तक राज्यसभा सदस्य रहीं। दोनों नेताओं ने राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था। इंदिरा जब पहली बार प्रधानमंत्री बनीं, उस वक्त वह राज्यसभा की ही सदस्य थीं। 1967 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता छोड़ दी।