रायपुर। दो हजार करोड़ के शराब घोटाले की जांच कर रही राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने बुधवार रात बड़ी कार्रवाई की है। ब्यूरो की टीम ने हाईकोर्ट से जमानत पर बुधवार को बाहर आए आरोपी अरविंद सिंह को केन्द्रीय जेल रायपुर से बाहर निकलते ही हिरासत में ले लिया है। ब्यूरो की टीम जेल के बाहर ही खड़ी थी। जैसे ही अरविंद बाहर आया, उसे ब्यूरो की टीम ने पकड़ लिया। आरोपी अरविंद को रात में ब्यूरो के दफ्तर लाया गया। जहां से उसे गिरफ्तारी की प्रक्रिया पूरी करने के बाद गुरुवार को कोर्ट में पेश किया जा सकता है। ब्यूरो के अफसर आरोपी से पूछताछ के लिए कोर्ट से उसकी रिमांड लेने की तैयारी में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल 12 जून को अरविंद सिंह को गिरफ्तार किया था।

बुधवार को ही अरविंद सिंह को इस मामले में जमानत मिली थी। हाईकोर्ट में जस्टिस पीपी साहू की बेंच में आरोपी की तरफ से सीनियर एडवोकेट राजीव श्रीवास्तव ने कहा था कि पूरी कार्रवाई आयकर के छापे के आधार पर की गई है। इसमें कहीं भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला नहीं बनता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस मामले में स्टे दिया हुआ है। इसके बाद भी अरविंद सिंह को जेल में रखना असंवैधानिक है। सभी पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने जमानत दे दी थी। ईडी के मामले में जमानत लेने वाले शराब घोटाले के आरोपियों में अरविंद दूसरे हैं। इससे पहले फरपरी में आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी रहे अरुणपति त्रिपाठी को हाईकोर्ट ने जमानत दी थी। इसके अलावा जेल से बाहर निकले शराब घोटाले के कई आरोपियों को हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत मिली थी। बाद में अंतरिम जमानत को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जमानत खारिज करने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी और आरोपियों को राहत दी थी।

70 आरोपियों के खिलाफ ब्यूरो ने दर्ज की है एफआईआर

ईडी की रिपोर्ट पर ईओडब्ल्यू ने शराब घोटाले में करीब 70 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर की थी। जनवरी में दर्ज इस एफआईआर की जांच शुरू हुई तो जेल में बंद आरोपियों से जेल में जाकर ब्यूरो की टीम ने पूछताछ की थी। ईडी ने छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपये की कथित शराब गड़बड़ी में एपी त्रिपाठी को पिछले साल मई में गिरफ्तार किया था। शराब गड़बड़ी में गिरफ्तार होने वालों में एपी त्रिपाठी चौथे थे। इसके बाद अरविंद सिंह को गिरफ्तार किया गया था। जुलाई में कारोबारी अनवर ढेबर को मेडिकल मेडिकल ग्राउंड में अंतरिम जमानत मिली थी। बाद में अनवर ढेबर की पत्नी करिश्मा ढेबर को अंतरिम अग्रिम जमानत मिली थी। बाद में त्रिलोक ढिल्लन और नितेश पुरोहित को अगस्त में अंतरिम जमानत मिल गई थी। इसके बाद तीनों की अंतरिम जमानत लगातार बढ़ाई जाती रही।

अक्टूबर में हाईकोर्ट ने जमानत खत्म की तो सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार

अक्टूबर में हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत खत्म कर दी थी, जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने अनवर ढेबर और करिश्मा ढेबर के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। इस वारंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जब मामला पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने वारंट पर रोक लगा दी थी। दोनों की अंतरिम जमानत बहाल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट को विशेष रूप से 18 जुलाई, 2023 के शीर्ष अदालत के आदेश के मद्देनजर अंतरिम जमानत बढ़ाने का आदेश जारी करना चाहिए था, जिसमें जांच एजेंसियों को “हर तरह से अपने हाथ रोकने” के लिए कहा गया था। साथ ही आरोपियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा गया था। जस्टिस कौल ने टिप्पणी की कि हमारे विचार में यह (उच्च न्यायालय द्वारा) हमारे आदेश का उल्लंघन है।