बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में जिला खनिज न्यास के फण्ड के लगातार हो रहे दुरूपयोग को लेकर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर CBI और केंद्र सरकार में जिला खनिज न्यास के फण्ड के लगातार हो रहे दुरूपयोग को लेकर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर CBI और केंद्र सरकार के बाद अब राज्य सरकार ने भी अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया है। इस मामले में अब याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है।

’10 हजार करोड़ के फण्ड के दुरूपयोग का है आरोप’

कोरबा जिला निवासी संतोष राठौर, ब्रजेश श्रीवास और अन्य भूविस्थापितों की ओर से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि पूरे प्रदेश में डीएमएफ मद के तहत मिले 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक के फंड का दुरुपयोग किया गया है। अकेले 1200 करोड़ रुपये की गड़बड़ी कोरबा जिले में की गई है। खर्च के दौरान डीएमएफ अधिनियम 2015 के नियम 25 (3), 12 (3), 12 (6) तथा 12 (2) का उल्लंघन किया गया है। न तो टीडीएस काटा गया और न ही खर्च की ऑडिट कराई गई है।

CBI जांच की मांग

DMF के इस तथाकथित घोटाले की सीबीआई से जांच की मांग याचिका में की गई थी। इसी के मद्देनजर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, सीबीआई व राज्य सरकार से इस पर जवाब मांगा था। पूर्व में सीबीआई तथा केंद्र की ओर से जवाब आ चुका है। अब इस मामले में याचिकाकर्ता का तीन सप्ताह में रिज्वाइंडर आने के बाद अगली सुनवाई होगी।

केंद्र ने नई गाइडलाइन की है तैयार

बता दें कि सन 2015 में DMF का कानून लागू किये जाने के बाद इस फण्ड का जिन स्थानों पर खर्च किया जाना था, उसे छोड़कर ज्यादातर दूसरे इलाकों में गलत तरीके से फण्ड का इस्तेमाल किया गया। सच कहें तो खदान के मूल प्रभावितों के हित में इस फण्ड का बहुत ही कम उपयोग किया गया है। अब तक के इन्हीं अनुभवों को देखते हुए केंद्र सरकार ने DMF को लेकर नई गाइडलाइन तैयार की है, और सभी राज्यों को इसका पालन करने का निर्देश दिया है।

बहरहाल देर से ही सही, इस घोटाले के खिलाफ खदान के मूल प्रभावितों ने ही बीड़ा उठाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। देखना यह है कि आगे चल कर हाईकोर्ट इस मामले में क्या फैसला करती है।