maa-mahagauri
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टीआरपी डेस्क। आज चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है। चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग कन्या पूजन भी करते हैं।

महागौरी का स्वरूप

मां महागौरी का रंग अंत्यत गोरा है। इनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। मां का स्वभाव शांत है। शास्त्रों के अनुसार, मां महागौरी की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

मां का प्रिय भोग-

देवीभागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए। भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित करना चाहिए।

किस रंग के पहनें वस्त्र- मां महागौरी की पूजा करते समय गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।

पूजा विधि…

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है।
मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम लगाएं।
मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें।
मां महागौरी को काले चने का भोग अवश्य लगाएं।
मां महागौरी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती भी करें।
अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कन्या पूजन भी करें।

मां महागौरी पूजा महत्व

मां महागौरी की पूजा- अर्चना करने से विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
मां की कृपा से मनपंसद जीवनसाथी मिलता है।
मां महागौरी की अराधना करने से संकट दूर होते हैं पापों से मुक्ति मिलती है।
व्यक्ति को सुख-समृद्धि के साथ सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है।
मां महागौरी का प्रिय पुष्प- मां का प्रिय पुष्प रात की रानी है। इनका राहु ग्रह पर आधिपत्य है, यही कारण है कि राहुदोष से मुक्ति पाने के लिए मां महागौरी की पूजा की जाती है।

महागौरी की आरती

जय महागौरी जगत की माया ।

जय उमा भवानी जय महामाया ॥

हरिद्वार कनखल के पासा ।

महागौरी तेरा वहा निवास ॥

चंदेर्काली और ममता अम्बे

जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥

भीमा देवी विमला माता

कोशकी देवी जग विखियाता ॥

हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥

सती ‘सत’ हवं कुंड मै था जलाया

उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥

बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥

तभी मां ने महागौरी नाम पाया

शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥

शनिवार को तेरी पूजा जो करता

माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥

‘चमन’ बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो

महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥

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