रायपुर। रायगढ़ जिले में जिन कोल ब्लॉक्स का आवंटन किया गया है, उनमे से दो कंपनियों ने खदानें सरकार को लौटा दी हैं। यह जानकारी सामने आयी है कि हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कॉरपोरेशन ने अपनी माइंस वापस कर दी हैं।

दो खदानें मिली थीं हिंडाल्को को

बता दें कि हिंडाल्को इंडस्ट्रीज को गारे पेलमा 4/4 और 4/5 कोल ब्लॉक दिए गए थे। दो खदानें अंडर ग्राउंड हैं। यह कंपनी गारे पेलमा 4/4 के संचालन के साथ ही 4/5 से एक मिलियन टन प्रतिवर्ष उत्पादन कर रही थी। मगर पीक रेटेड कैपेसिटी हासिल करने के बाद हिंडाल्को ने माइंस को सरेंडर कर दिया। अंडरग्राउंड माइंस होने के कारण तकनीकी दिक्कतें आ रही थी। बताया जा रहा है कि कोयला खनन करना बेहद महंगा हो गया था, वहीं पर्यावरण क्लीयरेंस को लेकर भी दिक्कतें आ रही थी। जिसके चलते हिंडाल्को इंडस्ट्रीज ने गारे पेलमा 4/5 को सरेंडर किया। सरकार ने भी सरेंडर के बाद माइंस टर्मिनेशन ऑर्डर जारी कर दिया है।

कोयला गुजरात लेकर जाना पड़ रहा है महंगा

इसी तरह गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कॉरपोरेशन को गारे पेलमा सेक्टर 1 कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था। कंपनी ने इस माइंस को डेवलप करने में कोई रूचि ही नहीं दिखाई। यहां का कोयला गुजरात के पावर प्लांट तक ले जाया जाना था जो व्यवहारिक रूप से सही नहीं था। इसकिये कंपनी ने माइंस को सरेंडर कर दिया। कोल मंत्रालय ने इस माइंस की नीलामी की जिसमें जेपीएल ने इसे प्राप्त किया। अब रायगढ़ में जेपीएल के पांच कोल ब्लॉक हैं जो एकदूसरे से जुड़ी हुई हैं।

लेमरू एलिफेंट रिज़र्व के चलते भी खदानें हुईं वापस

गौरतलब है कि खदानों के लिए सरकार को जमीनें अधिग्रहित करना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। पर्यावरण संबंधी चिंताएं भी राह में रोड़ा अटकाती हैं। हसदेव एरिया में प्राइवेट कंपनियों के अलावा एसईसीएल को भी खदानें आवंटित हैं। मगर अब लेमरू में एलिफेंट रिज़र्व स्वीकृत होने के चलते 17 खदानें इसके घेरे में आ गई हैं। इसके चलते आंध्र प्रदेश मिनरल, CSEB, SECL ने सरकार से मिले कोल ब्लॉक्स लौटा दिए हैं।