नयी दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि मतदान केंद्र-वार मतदान प्रतिशत डेटा के “अविवेकपूर्ण खुलासे” और इसे वेबसाइट पर पोस्ट करने से चुनावी मशीनरी में अराजकता फैल जाएगी, जो मौजूदा लोकसभा चुनाव में जुटी है।

आयोग ने कहा कि एक मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की संख्या बताने वाले फॉर्म 17सी का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता और और इससे पूरे चुनावी तंत्र में अराजकता फैल सकती है क्योंकि इससे तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है।

आयोग ने इस आरोप को भी गलत और भ्रामक बताते हुए खारिज किया कि लोकसभा चुनाव के पहले दो चरण में मतदान के दिन जारी किए गए आंकड़ों और बाद में दोनों चरणों में से प्रत्येक के लिए जारी प्रेस विज्ञप्ति में “5-6 प्रतिशत” की वृद्धि देखी गई।

आयोग ने एक गैर सरकारी संगठन की याचिका के जवाब में दायर एक हलफनामे में यह बात कही। याचिका में आयोग को लोकसभा के प्रत्येक चरण के मतदान के समापन के 48 घंटे में वेबसाइट पर मतदान केंद्र-वार आंकड़े अपलोड करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

विपक्ष साध रहा है निशाना

कांग्रेस ने मतदान के वास्तविक समय के आंकड़ों (रियल टाइम फिगर) और निर्वाचन आयोग के जारी अंतिम आंकड़ों के बीच बड़े अंतर को लेकर सवाल उठाया और कहा कि देश में मतदाता इससे चिंतित हैं.

पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘मतदाता मतदान के चार चरणों के दौरान निर्वाचन आयोग की गतिविधियों को लेकर चिंतित हैं. पहले, आयोग को मतदान के अंतिम आंकड़े सामने लाने में 10-11 दिन लगते हैं और फिर वास्तविक समय के आंकड़ों और अंतिम आंकड़ों के बीच अंतर आता है. वोट का अंतर इतिहास में कभी नहीं हुआ.’’