नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए 4 जून को घोषित राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (NEET) के परिणाम को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में नीट के परिणाम में बड़े पैमाने पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए नए सिरे से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का आदेश देने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक अन्य याचिका में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा छात्रों को अनुग्रह / प्रतिपूरक (grace/compensation) अंक दिए जाने के निर्णय को भी चुनौती दी गई है।

याचिका में लगाया यह आरोप

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि 4 जून को घोषित नीट स्नातक के परिणाम में बड़े पैमाने पर अनियमितता व्याप्त है। तेलांगना निवासी अब्दुल्ला मोहम्मद फैज और आंध्र प्रदेश निवासी डॉ. शेख रोशन मोहिद्दीन की ओर से दाखिल याचिका में छात्रों को अनुग्रह / प्रतिपूरक अंक देने में भी मनमानी का आरोप लगाया है।

‘ग्रेस मार्क देना छात्रों को बैकडोर एंट्री देने का प्रयास’

याचिकाकर्ताओं ने याचिका में खुद को छात्रों के हित के लिए काम करने का दावा किया है। याचिका में कहा गया है कि कई छात्रों द्वारा प्राप्त 720 में से 718 और 719 के उच्च अंक ‘सांख्यिकीय रूप से असंभव है। याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा परीक्षा के दौरान देरी के चलते प्रति पूरक अंक देना, कुछ छात्रों को बैकडोर एंट्री देने के लिए एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि एक ही परीक्षा केंद्र के 67 छात्रों को 720 अंक में से 720 अंक प्राप्त होना, इस संदेह को मजबूत करता है कि परिणाम उचित नहीं है।

याचिका में कहा गया है कि 29 अप्रैल को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा प्रकाशित अंतिम उत्तर कुंजी के बारे में कई शिकायतें हैं। याचिका में कहा गया है कि 5 मई को आयोजित परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने की व्यापक शिकायतों का भी हवाला देते हुए परिणाम को रद्द करने और नए सिरे से परीक्षा कराने की मांग की गई है।

मौजूदा यचिका में कहा गया है कि पेपर लीक के होने के आधार पर परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर पहले से ही प्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई थी। साथ ही कहा कि शीर्ष अदालत ने 17 मई को इस मामले में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, हालांकि परिणाम घोषित करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

‘अनुग्रह अंक दिए जाने के निर्णय को चुनौती’

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक अन्य याचिका में राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा में छात्रों को अनुग्रह/ प्रतिपूरक अंक देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के निर्णय को चुनौती दी गई है। नीट में शामिल होने वाले छात्र जरीपेट कार्तिक ने यह याचिका दाखिल की है। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए एनटीए द्वारा 1563 छात्रों को अनुग्रह अंक दिए जाने के निर्णय को चुनौती दी है। यह अंक उन छात्रों को दिया गया है, जिनके परीक्षा केंद्र पर परीक्षा देरी से शुरू हुआ था। इस बीच याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वाई. बालाजी और चिराग शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री से संपर्क कर इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की है।

याचिका में कहा गया है कि एनटीए द्वारा अनुग्रह अंक देने के लिए सामान्यीकरण सूत्र का इस्तेमाल करना न सिर्फ गलत है बल्कि अवैध, मनमाना और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है। याचिका में यह भी कहा गया है कि मौजूदा मामले में सामान्यीकरण सूत्र लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि परीक्षा का उद्देश्य विषय ज्ञान का पता लगाना है, लेकिन सूत्र पता लगाने के आधार पर नहीं बल्कि ज्ञान की धारणा के आधार पर अंक प्रदान करता है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि यदि सामान्यीकरण सूत्र का विस्तार संभव हो तो, सिर्फ उन प्रश्नों की संख्या तक ही हो सकता है, जो समय की हानि के अनुपात में अनुत्तरित रह सकते हैं, यह देखते हुए कि प्रत्येक प्रश्न का अंक भार समान है, इसलिए प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने के लिए समान समय वितरण माना जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि चूंकि परीक्षा ऑफलाइन मोड में आयोजित की गई थी, इसलिए समय की हानि को सटीक रूप से मापने के लिए कोई मानक नहीं है। साथ ही कहा गया है कि समय की कथित हानि की स्थिति में अनुग्रह अंक मुहैया किए जाने को उचित ठहराने के लिए अधिकारियों द्वारा कोई मूल्यांकन या रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया गया है। याचिका में कहा गया है कि एनटीए ने कोई मूल्यांकन रिपोर्ट, विचार या सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाला है जो इस बात को स्पष्ट करता हो कि परीक्षा देर से शुरू होने से 1563 छात्रों को अनुग्रह अंक देने के लिए समय की हानि हुई।