रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के पांच जिले दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और कांकेर में 52 सुरक्षा कैंप स्थापित होंगे। सुरक्षा कैंपों के आसपास के 198 गांवों का विकास किया जाएगा।

राज्य सरकार द्वारा बस्तर संभाग में नियद नेल्ला नार योजना के विस्तार और क्रियान्वयन के लिए 16 नोडल अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। वर्तमान में 22 स्थापित सुरक्षा कैंपों के आसपास आने वाले 87 गांवों में मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने की कार्ययोजना तैयार की गई है, जिसे धरातल पर उतारने के लिए विभाग के अधिकारी जुट गए हैं।

गांवों के विकास के लिए किए जा रहे कार्य

अधिकारियों का कहना है कि 22 स्थापित सुरक्षा कैंपों को बढ़ाकर 52 किया जाएगा। इससे गांवों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। कैंपों के आसपास स्थित करीब पांच गांवों की मूलभूत आवश्यकता के नजरिए से अधोसंरचना विकास और परिवारों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य किए जा रहे हैं।

संवेदनशील क्षेत्र के संबंधित ग्रामों में शासन की 32 व्यक्ति मूलक योजनाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, बिजली, मोबाइल टावर समेत 25 से अधिक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने पर फोकस किया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में समग्र विकास के लिए सतत प्रयास जारी है।

प्रत्येक सप्ताह विभागों के अधिकारी की मौजूदगी में होती है समीक्षा

राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना में नियद नेल्ला नार शामिल हैं। योजना की प्रगति को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रत्येक सप्ताह 16 विभागों के अधिकारी की मौजूदगी में समीक्षा बैठक होती है। बैठक में गांवों में पहुंचने वाली योजनाओं के बारे में विस्तार से समीक्षा की जाती है। नक्सल प्रभावित गांवों में अधोसंरचना विकास सहित मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने के लिए मिशन मोड पर काम किया जा रहा है।

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थानीय ग्रामीणों के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देकर विकास का उजियारा चारों ओर फैलाया जाएगा। नक्सल प्रभावित क्षेत्र के दूरस्थ गांवों में मोबाइल टावर तथा इंटरनेट सुविधा एक बड़ी समस्या है। इस दिशा में समन्वित रूप से कार्य करने पर जोर दिया जा रहा है।

स्वास्थ्य विभाग का पांच चिन्हांकित योजनाओं को शत-प्रतिशत पूरा करने का लक्ष्य

नियद नेल्ला नार योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग ने पांच चिन्हांकित योजनाओं को शत-प्रतिशत पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसमें सभी का आयुष्मान कार्ड बनाना, टीकाकरण, एनीमिया, सिकलेसल, टीबी व अन्य बीमारियाें की स्क्रीनिंग, निश्सक्त प्रमाणपत्र और जननी सुरक्षा योजना का लाभ शामिल है।

इसके अलावा महिलाओं के पंजीकरण, स्वास्थ्य जांच और उनकी संस्थागत प्रसव सुविधा जैसी सेवाओं को बेहतर करने का कार्य भी किया जा रहा है। नक्सल प्रभावित गांवों में मोबाइल मेडिकल कैंप लगाकर स्थानीय भाषा में स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

नियद नेल्ला नार (स्वास्थ्य विभाग) के नोडल अधिकारी डा. धर्मेंद गहवई ने कहा, नक्सल प्रभावित दूरस्थ गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए अमला जुटा हुआ है। स्थानीय भाषा में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जा रहा है। सुरक्षा कैंप होने की वजह से कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना नहीं रहती है।

उप मुख्यमंत्री व गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा…

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थापित सुरक्षा कैंपों में नवाचार के रूप में विकास कार्य किए जा रहे हैं। सुरक्षा कैंपों की संख्या बढ़ाई जाएगी, इससे अधिक से अधिक गांवों में विकास कार्य संभव होगा। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बनाए गए नए कैंप सुरक्षा के साथ विश्वास और विकास के कैंप साबित होंगे।

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