रायपुर। छत्तीसगढ़ की पहचान स्टील उद्योग के हब के रूप में भी होती है, मगर इन दिनों स्टील के निर्माता काफी परेशान हैं। इनका कहना है कि कोयला खदानों की उपलब्धता के कारण छत्तीसगढ़ में विद्युत् उत्पादन में लागत कम है, मगर सरकार ने दूसरे राज्यों के मुकाबले में यहां की बिजली दर ज्यादा ही बढ़ा दी है जिससे स्टील उद्योग बंद होने के कगार पर आ जायेंगे।

छत्तीसगढ़ में हाल ही में बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की गई है। प्रदेश के स्टील निर्माता इसके विरोध में उतर गए हैं। इनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में स्टील उत्पादन की अधिकता की प्रमुख वजह बिजली की अब तक की दरें रही हैं। मगर इस बार उद्योगों की बिजली दर लगभग 28% बढ़ा दी गई है। जिसके चलते स्टील का उत्पादन महंगा हो जायेगा और कॉम्पिटिशन में यहां के उद्योग पीछे रह जायेंगे।
प्रदेश के विकास में लौह उद्योगों की भूमिका प्रमुख
छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास अग्रवाल ने TRP न्यूज़ से चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश के औद्योगिक विकास में लौह उद्योगों की उपयोगिता सर्वविदित है। विशेषतः छोटे लौह उद्योग जो कम पूंजी में अधिक उत्पादन करते है, साथ ही सबसे अधिक मात्रा में छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को रोजगार प्रदान करने में सक्षम हैं।

प्रदेश में बिजली के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं स्टील प्लांट
विकास अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में लगभग 200 स्टील उद्योग हैं, जो छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के कुल उत्पादन के लगभग 30 से 35% के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं, और जो प्रतिवर्ष लगभग 700 करोड़ यूनिट खपत करने वाले उद्योग है, इस उच्च श्रेणी के सबसे अधिक बिजली खपत करने वाले उद्योगों द्वारा छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल को प्रतिवर्ष लगभग 5 हजार करोड़ रूपये का सबसे अधिक राजस्व दिया जाता है। छत्तीसगढ़ को सर्वाधिक पूरा लौह उद्योग GST के माध्यम से राज्य शासन एवं भारत सरकार को प्रति वर्ष लगभग 9 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व प्रदान करता है। तथा यह उद्योग लगभग ढाई से तीन लाख परिवारों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है। छत्तीसगढ़ के मिनी स्टील प्लांट 105 स्पंज आयरन एवं 220 रोलिंग मिलों की बीच की कड़ी हैं।
लगातार बढ़ रही है बिजली की दरें
स्टील निर्माताओं का कहना है कि प्रदेश में 2003 से 2018 के बीच जब मिनी स्टील प्लांट उद्योगों का विद्युत दर लगभग रू. 4.50 के आसपास रहा तब अन्य राज्य के उद्योगपतियों का छत्तीसगढ़ में रूझान बढ़ा और छत्तीसगढ़ में लगातार नये लौह उद्योग स्थापित हुए। लेकिन सन 2018 से लगातार बिजली की दरें बढ़ रही हैं। आज इसकी कीमत 7. 60 रु. हो गई है। आशंका जताई जा रही है कि इससे नए लौह उद्योग बंद हो जायेंगे और मिनी स्टील प्लांट्स के बंद होने की संभावना बढ़ जाएगी।
दूसरे राज्यों से प्रतिष्पर्धा और महंगी हुई बिजली दर
मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ के लौह उद्योगों के द्वारा तैयार माल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य के स्थानीय लौह उद्योगों से प्रतिस्पर्धा करके तैयार लौह सामग्री विक्रय करना पड़ता है।
मिनी स्टील प्लांट (फर्नेस) उद्योग को लगभग 1300 यूनिट प्रति टन विद्युत खपत होता है जो कि पहले लगभग रूपये 8000 प्रति टन विद्युत लागत आता था परन्तु जून 2024 से विद्युत दर रूपये 1.40 बढ़ने से लगभग रूपये 10000 प्रति टन विद्युत लागत आ रहा है। अब रूपये 1800 से 2000 प्रति टन स्टील की लागत बढ़ गई है।
स्टील निर्माताओं का कहना है कि मिनी स्टील प्लांट (फर्नेस) विद्युत गहन (Power Intensive) उद्योग है तथा विद्युत हमारा रॉ मटेरियल है। ऐसी अवस्था में मिनी स्टील प्लांट (फर्नेस) उद्योग रूपये 400 से 500 प्रति टन के अंतर (Margin) में पूरा लौह व्यापार चलता है, वह भारी नुकसान झेल रहा है तथा अब उद्योग चलाना असंभव हो गया है।
अर्थव्यवस्था और रोजगार पर पड़ेगा असर
गौरतलब है कि स्टील उद्योगों के द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में जीएसटी के रूप में सबसे ज्यादा टैक्स दिया जाता है, ऐसे में अगर स्टील उद्योग बंद होते हैं तो जीएसटी तथा रोजगार में भी जबरदस्त असर पड़ना तय है। भारत में रायपुर स्टील का हब बन गया है और यहां के स्टील हब में अगर असंतुलन हुआ तो इसका असर पूरे भारत में पड़ेगा।
सरकार से राहत देने की मांग
मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन का कहना है कि पूर्व के वर्ष में छत्तीसगढ़ शासन स्टील उद्योगों को जीवित रखने के लिए अन्य राज्यों के समकक्ष प्रतिस्पर्धा में रहने के लिए को समय-समय पर अनुदान (Subsidy) / लोड फैक्टर प्रोत्साहन (Incentive) के माध्यम से सहयोग देती आ रही है। इनका कहना है कि बिजली दर में जो अप्रत्याशित वृद्धि हुई है उसे अनुदान (Subsidy) या और किसी रूप में हमें पुनः देकर इस उद्योग को वापिस जीवित करें और इसे बचाने की कृपा करें।
अडानी समूह से ले सकते हैं बिजली
स्टील उद्योग संगठन ने साफ कर दिया है कि 15 अगस्त तक सब्सिडी के मसले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो संगठन अडानी से बिजली लेने अथवा उद्योग बंद करने के विकल्पों पर फैसला लेगा।
दरअसल अडानी समूह ने उद्योगों को 5.15 रूपए में बिजली उपलब्ध कराने का ऑफर दिया है। यही नहीं, जिंदल औद्योगिक पार्क में वहां के उद्योगों को बिजली 5.09 रूपए की दर से ही उपलब्ध है। यदि स्टील उद्योग निजी बिजली उत्पादकों से बिजली लेने का फैसला लेते हैं तो खुद सरकार पॉवर कंपनी को बड़ा नुकसान हो सकता है। बताया गया है कि मध्यप्रदेश में 6.21 रूपए प्रति यूनिट, ओडिशा में 4.75 रूपए, तेलंगाना में 7.15 रूपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। 15 अगस्त तक स्टील उद्योगों को सब्सिडी देने पर कोई फैसला नहीं किया गया तो उद्योग बंद करने अथवा निजी बिजली उत्पादकों से बिजली लेने के विकल्पों पर विचार किया जा सकता है।