रायपुर। मानसून सत्र के पहले ही दिन बलौदा बाजार आगजनी का मामला विपक्ष ने उठाया और काम रोको प्रस्ताव लाकर चर्चा की मांग की। इसे लेकर पक्ष विपक्ष आमने सामने हुए। विपक्ष सदस्यों ने कहा कि कलेक्टर-एसपी दफ्तर जलाने की घटना अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं हुई थी। इस मामले में सरकार का सूचना तंत्र विफल रहा है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि आगजनी बड़ा षड्यंत्र था, और इसमें कलेक्टर-एसपी की भूमिका रही है।

चर्चा को लेकर मांग और आपत्ति
प्रश्रकाल के तुरंत बाद पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने काम रोको प्रस्ताव की सूचना देकर चर्चा कराने की मांग की। इस दौरान सत्ता पक्ष ने न्यायिक आयोग की जांच का हवाला देकर चर्चा न करने की मांग रखी। अजय चंद्राकर ने कहा कि स्थगन स्वीकार करने योग्य नहीं है। तब विधानसभा अध्यक्ष डॉ.रमन सिंह ने व्यवस्था दी कि अभी मैं विषय की ग्राह्यता पर सदस्यों के विचार सुन रहा हूं। इसलिए चंद्राकर की आपत्ति खारिज की जाती है।
भूपेश ने चर्चा के बताये नियम
सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा स्थगन के विषय को न्याय प्राधिकरण के विचार अधीन बता चर्चा न करने की मांग पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति की। भूपेश बघेल ने अध्यक्ष की अनुमति से ऐसे विषय पर चर्चा की अनुमति दिए जाने का नियम पढ़कर सुनाया। इस सत्ता पक्ष के विधायकों ने आपत्ति की और बघेल को चर्चा से रोका। इस टोका टाकी पर विपक्ष सदस्यों ने जताई नाराजगी।
सदन में जमकर हुई नारेबाजी
इस दौरान विपक्षियों ने सदन में जमकर नारेबाजी की। इसके बाद काम रोको प्रस्ताव की सूचना पर भूपेश बघेल ने बलौदाबाजार आगजनी का विस्तार से जिक्र किया। बघेल ने आरोप लगाया कि बलौदाबाजार की घटना एक बड़ी साजिश है। सरकार के सीने पर लगा बड़ा दाग है। आंदोलन प्रदर्शन का इंतजाम एसपी और कलेक्टर ने कराया था। कवासी लखमा ने कहा कलेक्टर ऑफिस जला दिया गया। एसपी कलेक्टर को जेल भेज देना चाहिए। कांग्रेस सदस्य रामकुमार यादव ने कहा कि आजाद भारत और उससे पहले 2सौ साल अंग्रेजों ने शासन किया था लेकिन कलेक्टर और एसपी दफ्तर नहीं जला था। विपक्ष के सदस्यों ने कटाक्ष किया कि यह सब विष्णु के सुशासन में हुआ है।
सरकार के सूचना तंत्र को बताया विफल
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने सवाल उठाए कि हजारों लोग वहां मौजूद थे तो क्या रायपुर से फोर्स नहीं भेजा जा सकता था? उन्होंने कहा कि सरकार का सूचना तंत्र विफल रहा है। कांग्रेस सदस्य उमेश पटेल ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया। सत्ता पक्ष के सदस्यों की आपत्ति के बाद शोर-शराबा और हंगामा शुरू हो गया। इसके बाद सदन की कार्रवाई 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्षी सदस्य हुए निलंबित, सदन स्थगित
दोबारा कार्रवाई शुरू हुई तो सत्ता और विपक्ष के सदस्यों के बीच तकरार चलती रही। विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में चले गए और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत, पूर्व सीएम भूपेश बघेल सहित सभी सदस्य सदन की कार्रवाई से स्वमेव निलंबित हो गए। इसके कुछ देर बाद सदन की कार्रवाई मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।