रायपुर। जिला राजनांदगांव के मछली पालन विभाग में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार के TRP NEWS के खुलासे के बाद मामले की जांच हुई और यहां पदस्थ रहीं सहायक संचालक गीतांजलि गजभिये के खिलाफ पुलिस में FIR दर्ज कराया गया। विभागीय जांच में दोषी साबित होने के बावजूद महिला अधिकारी को बचाने में बड़े अफसर लगे हुए थे, मगर जब विधान सभा में इस मामले को लेकर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लगाया गया तब आनन-फानन निलंबन की यह कार्यवाही की गई।

2 करोड़ से ऊपर का हुआ था घोटाला

पूर्व में राजनांदगांव और अब खैरागढ़ जिला में मछलीपालन विभाग द्वारा मध्यम विभागीय सिंचाई जलाशय नवागांव सिंचाई जलाशय एवं पिपरिया सिंचाई जलाशय में 21 इकाई केज कल्चर (केज में मछलीपालन) के लिए अनुदान राशि स्वीकृत की गयी। मछुआ व्यक्तियों के नाम से स्वीकृति प्रदान करते हुए राज्य शासन से कुल राशि 723.60 लाख रूपये अनुदान राशि स्वीकृत की गई थी।

दरअसल सरकार की योजना के तहत जिन हितग्राहियों का चयन किया गया था उन्हें इसकी कोई जानकारी ही नहीं थी। उन्हें पता तब चला जब इन सभी को विभाग की ओर से केज कल्चर का किराया जमा करने का नोटिस जारी किया गया। इसकी जानकारी मिलने के बाद TRP NEWS ने यहां हुए लगभग सवा दो करोड़ के घोटाले का खुलासा किया। मामला संज्ञान में आने के बाद विभाग प्रमुख द्वारा जांच के आदेश दिए गए।

मामले की जांच के उपरांत राशि रू. 216.00 लाख की गड़बड़ी होना पाया गया व उक्त अनियमितता हेतु केज कल्चर अनुदान में भ्रष्टाचार के आरोपों में तत्कालीन सहायक संचालक मछली पालन गीतांजली गजभिये को ही दोषी पाया गया। विभाग के मुताबिक सहायक संचालक के अलावा और किसी भी अधिकारी कर्मचारियों की भूमिका या संलिप्तता संज्ञान में नहीं आई।

सहायक संचालक और फर्मों के खिलाफ FIR दर्ज

भ्रष्टाचार के इस मामले में कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी, राजनांदगांव के निर्देश पर 4 जुलाई को तत्कालीन सहायक संचालक मछली पालन, राजनांदगांव एवं सामग्री आपूर्तिकर्ता फर्म (1) मेसर्स स्टार सप्लायर, बिलासपुर (2) एस.एस. एक्वाकल्चर, पथर्री, फिंगेश्वर, राजिम एवं एस.एस. एक्वाफिड, झाकी, रायपुर के खिलाफ पुलिस थाना, सिटी कोतवाली, राजनांदगांव में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराया गया।

पखवाड़े भर बाद निलंबन..!

सवा दो करोड़ के इस घोटाले की विभागीय जांच में गड़बड़ी उजागर होने के बाद वर्तमान में पदस्थ सहायक संचालक द्वारा अधिकारी और सप्लायरों के खिलाफ FIR तो दर्ज करा दिया गया मगर उच्चाधिकारियों द्वारा दोषी महिला अधिकारी के खिलाफ विभागीय स्तर पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। बताया जाता है कि उलटे इस मामले में शिकायत करने वाले हितग्राहियों को दोषी पक्ष द्वारा धमकाया जाने लगा। जिसके बाद इलाके के जनप्रतिनिधियों को मामले की जानकारी दी गई। अभी मौका था विधानसभा के मानसून सत्र का, जिसमें विधायक दलेश्वर साहू ने प्रश्नकाल में इस मुद्दे पर सवाल रखा। वहीं ध्यानाकर्षण में भी यह मुद्दा प्रस्तावित किया गया। ऐसे में मामला आगे बढ़ता देख विभाग द्वारा अब जाकर वर्तमान में धमतरी में पदस्थ सहायक संचालक मछली पालन गीतांजली गजभिये के निलंबन का आदेश जारी किया गया। देखा जाये तो अमूमन शासकीय विभागों में जांच के बाद पहले निलंबन फिर FIR दर्ज करने की कार्रवाई की जाती है, मगर मछली पालन विभाग में हुए भ्रष्टाचार के इस मामले में जिस तरह सुस्त चाल में कार्रवाई की गई, उससे साफ नजर आता है कि दोषी अधिकारी को अब तक बचाने का प्रयास किया जा रहा था, मगर जब मामला विधानसभा में उठने की जानकारी आयी तब आनन-फानन में करवाई की गई।

निलंबन अवधि में गीतांजलि गजभिये का मुख्यालय कार्यालय उप संचालक मछली पालन प्रशिक्षण संस्थान रायपुर निर्धारित किया गया है।

फेक दस्तावेज पर सिम के इस्तेमाल का मामला भी उजागर

इस मामले में पुलिस की जांच में एक और खुलासा हुआ है। पुलिस ने जब तत्कालीन सहायक संचालक गीतांजलि गजभिये द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे मोबाइल नंबर का पता लगाया गया तब जानकारी मिली कि उसमें इस्तेमाल किया जा रहा सिम, नारायण नेताम के नाम पर रजिस्टर्ड है। जांच में पता चला कि नारायण मछली पालन विभाग में ही चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी (भृत्य) है। पूछताछ में नारायण ने पुलिस को बताया कि उसे इस बात की जानकारी ही नहीं है कि गीतांजलि गजभिये ने कब उसका दस्तावेज और हस्ताक्षर लेकर सिम हासिल कर लिया। बताया जा रहा है कि जब से इस मामले की जांच और FIR की कार्रवाई हुई है तब से गीतांजलि गजभिये फेक दस्तावेज से हासिल किये गए सिम का इस्तेमाल कर रही थीं।

बहरहाल ‘मैडम’ का निलंबन भी हो चुका है। अब बारी पुलिस की है जो अपने स्तर पर मामले की जांच में जुटी हुई है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में दोषियों की गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाएगी।