रायपुर। विधानसभा में CAG द्वारा पेश स्वास्थ्य विभाग की ऑडिट रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन लिमिटेड (CGMSCL) द्वारा किये गए मेडिकल घोटाले की पूरी फेहरिश्त है। चूंकि यह भ्रष्टाचार सैकड़ों करोड़ का है। ऐसे में सरकार इसकी जांच का जिम्मा CBI को दे सकती है।

बता दें कि विधानसभा में CGMSCL द्वारा लैब रिजेंट (REAGENT) की जरुरत से कई गुना ज्यादा खरीदी को लेकर कई सवाल उठे थे। इस मामले में एक ही फर्म मोक्षित कार्पोरेशन को अनुबंधित कर अधिक लाभ देने का मामला भी सामने आया है। राज्य शासन ने इसकी जांच के लिए एक समिति का भी गठन किया है। समिति नौ बिंदुओं में इस मामले की जांच कर रिपोर्ट देगी। मगर आरोप यह है कि घोटाले से जुड़े लोग भी इस समिति में रखे गए हैं। ऐसे में निष्पक्ष जांच पर सवाल उठ रहे हैं। विधानसभा के मानसून सत्र में भी रीजेंट की खरीदी को लेकर विधायकों ने सवाल उठाए हैं।
क्या है मामला..?
स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 2021 से जून 2024 तक CGMSCL द्वारा चार फर्मों से लैब रीजेंट खरीदे गए। इन फर्मों में बागरी इंटरप्राइजेज, फैथ इनोवेशन, सी फेल्ट इंडिया लिमिटेड और मोक्षित कार्पोरेशन का नाम शामिल हैं। कंपनियों से अलग-अलग लैब रीजेंट की खरीदी की गई। इनमें से मोक्षित कार्पोरेशन को सबसे अधिक काम दिया गया। मामले में यह बताया गया कि इनमें से कई रीजेंट की खरीदी की वजह स्पष्ट नहीं थी।
जरुरत से ज्यादा रीजेंट की खरीदी के बाद CGMSCL ने उसकी सप्लाय ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों में भी कर दी जहां इसकी जरुरत नहीं थी और उसके इस्तेमाल संबंधी उपकरण भी नहीं थे।
जांच समिति पर भी उठ रहे सवाल
स्वास्थ्य विभाग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के अंतर्गत केंद्रीय भंडार से प्रदत्त भंडार तथा कच्चा माल समेत अन्य सामग्रियों की वार्षिक मांग एवं उनके विरुद्ध CGMSCL द्वारा किए गए क्रय आदेश के विरुद्ध आपूर्ति की गई सामग्री एवं आपूर्ति की गई सामग्री के भंडारण, वितरण एवं उपयोग की विस्तृत जांच के लिए एक समिति का गठन किया है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित समिति में रूद्र प्रताप सिंह चौहान वित्त नियंत्रक, डॉ. अनिल परसाई उप संचालक, एसएन पांडेय पैथालॉजी विशेषज्ञ, डॉ. खेमराज सोनवानी, डॉ. आनंद वर्मा स्टोर कंसलटेंट, आनंद साहू एसपीएम एनएचएम और जावेद कुरैशी योजना प्रभारी एनएचएम को शामिल किया गया। आपको बता दें कि डॉ. अनिल परसाई के पास मांग के अनुसार इंडेंट (मांग पत्र) बनाने का जिम्मा है। इतना ही नहीं ये सारी खरीदी डॉ परसाई के रहते ही हुई है।
इन बिंदुओं पर होनी है जांच
- स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा इंडेंट सम्मिलित सामग्री और उनकी मात्रा का औचित्य।
- इन सामग्रियों के उपयोग के लिए उपयुक्त मशीनों की स्थापना है कि नहीं।
- मशीनों के उपयोग एवं जांच के लिए टेक्नोलॉजिस्ट की उपलब्धता।
- कितने स्थानों पर टेस्ट किए जाने का प्रस्ताव था और उन स्थानों पर क्या उपकरण इंडेंट जारी करने के पूर्व स्थापित थे।
- जिन सामग्रियों के प्रदाय आदेश जारी किए गए, क्या उनके भंडारण हेतु मानकों के अनुसार उचित व्यवस्था की गई।
- प्रदाय आदेश कब-कब जारी किए गए।
- आदेश की पुनरावृत्ति से पूर्व क्या पूर्व में प्रदाय आदेश के विरुद्ध सामग्रियां संबंधित एजेंसियों से प्रदाय की जा चुकी थी और क्या उनकी उपयोगिता सुनिश्चित कर ली गई थी।
- सामग्रियां सीजीएमएससी के स्टोर में कब-कब प्राप्त हुई।
- उन्हें निर्धारित प्रदाय स्थलों का जहां उनकी उपयोगिता थी, कब भेजी गई।
- वर्तमान में प्रदायित सामग्रियां कहां रखी गई हैं?
केवल रीजेंट ही नहीं..!
CGMSCL द्वारा केवल रीजेंट की खरीदी में ही घालमेल नहीं किया गया है। दवाओं के अलावा ऐसे बहुत सारे उपकरण हैं, जिनकी जरुरत से ज्यादा तथा निर्धारित दर से काफी अधिक कीमत पर खरीदी कर ली गई। उदहारण के तौर पर स्टेथोस्कोप को ही लें। CAG की रिपोर्ट के अनुसार आयुष संचालनालय से प्राप्त मांगपत्र (4 जून 2018) के आधार पर, CGMSCL ने ₹ 7,840 रुपये की दर से मेसर्स सीबी कॉरपोरेशन के साथ स्टेथोस्कोप के लिए निविदा को अंतिमीकृत किया (11 सितंबर 2019) एवं ₹ 4.37 करोड़ की लागत से 5,572 मात्रा क्रय की (सितंबर 2021) गई।
लेखापरीक्षा ने पाया कि आईपीएचएस मानकों के अनुसार राज्य में 243 जिला चिकित्सालय, सिविल चिकित्सालय, सीएचसी एवं एमसीएच के लिए 2,615 स्टेथोस्कोप की आवश्यकता थी। इसके विरूद्ध, डीएचएस ने 5,572 स्टेथोस्कोप की मांग की थी। इस तरह ₹ 2.32 करोड़ मूल्य के 2,957 स्टेथोस्कोप का अनावश्यक क्रय हुआ।
लेखापरीक्षा ने आगे पाया कि उपयोगकर्ता विभाग ने ₹ 500 प्रति इकाई की अनुमानित लागत के सामान्य स्टेथोस्कोप की मांग की थी। मगर इसकी अनदेखी करते हुए एवं क्रय में मितव्ययिता के पहलू को नजरअंदाज करते हुए, CGMSCL ने ₹ 500 की अनुमानित लागत के विरूद्ध ₹ 7,840 प्रति की दर से महंगे आयातित स्टेथोस्कोप क्रय किए थे। इस तरह केवल स्टेथोस्कोप की खरीदी में ही करोड़ों का घालमेल कर दिया गया।
ब्लैकलिस्ट फर्मों से की करोड़ों की खरीदी
CGMSCL ने मौजूदा बाजार मूल्य की निगरानी में कमी, कम दरों वाली मौजूदा आरसी की अनदेखी एवं अनुचित आधारों पर कम दर को अस्वीकार करने के कारण उच्च दरों पर दवाईयां, औषधियां एवं कंज्युमेबल सामग्रियों का क्रय किया, जिसके परिणामस्वरूप ₹ 7.35 करोड़ का अतिरिक्त व्यय हुआ। दवाओं एवं औषधियों का क्रय टेलरमेड स्पेसिफिकेशन के अनुसार, थोक मात्रा की बजाय सांकेतिक मात्रा के साथ निविदा आमंत्रित करने आदि के मामले सामने आए। सीजीएमएससीएल ने ब्लैकलिस्ट फर्मों से ₹ 23.98 करोड़ की दवाएं भी खरीदी हैं।
इस तरह की और भी दर्जनों गड़बड़ियां CGMSCL के तत्कालीन अधिकारियों ने की है। फिलहाल CAG की ऑडिट रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी गई है। अब इसे पीएसी (पब्लिक अकाउंट कमेटी) के समक्ष रखा जायेगा, जिसके अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष होते हैं। प्रक्रिया के मुताबिक CAG की रिपोर्ट पर बिंदुवार चर्चा के बाद कार्रवाइयां होंगी और विधानसभा के पटल पर एक्शन-टेकन रिपोर्ट रखी जाएगी। मगर जिस तरह की गड़बड़ी हुई है, उसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार इससे पहले ही इसकी जांच का जिम्मा CBI को सौंप देगी।