टीआरपी डेस्क। राज्यसभा में शुक्रवार को नीट और एनटीए को रद्द करने की मांग उठी। डीएमके सांसद एम मोहम्मद अब्दुल्ला ने इसे लेकर एक निजी प्रस्ताव पेश करते हुए मांग रखी कि शिक्षा को समवर्ती सूची से हटाने के लिए कानून लाया जाए।

साथ ही उन्होंने कहा कि राज्यों को मेडिकल प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की अनुमति देनी चाहिए और नीट और एनटीए रद्द होनी चाहिए। एम मोहम्मद अब्दुल्ला ने सरकार के विरोध के बीच राज्यसभा के दोपहर के सत्र में निजी सदस्यों के कामकाज के दौरान यह प्रस्ताव पेश किया।

गौरतलब है कि सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) आयोजित की जाती है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार राज्यसभा में पेश निजी प्रस्ताव में मांग की गई कि सरकार शिक्षा को समवर्ती सूची से हटाए और इसे संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्य सूची में स्थानांतरित करने के लिए कानून लाए। इसमें नीट और एनटीए को निरस्त करने और राज्य सरकारों के मानदंडों के आधार पर मेडिकल प्रवेश को वापस करने की भी मांग की गई।

प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए डीएमके सांसद ने कहा कि योग्य उम्मीदवारों के चयन के मामले में नीट परीक्षा त्रुटिपूर्ण है। उन्होंने वर्तमान नीट पेपर लीक, ग्रेस मार्क्स के गैर-जिम्मेदाराना आवंटन और छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले फैसलों को लेकर एनटीए परीक्षा आयोजित कराने की क्षमता पर सवाल खड़े किए।

हालांकि भाजपा सांसदों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि राज्यसभा में एनटीए और नीट को खत्म करने पर चर्चा करना सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भावना के खिलाफ होगा। भाजपा सांसद घनश्याम तिवारी ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा उच्चतम न्यायालय की अवहेलना होगी।