Popcorn Brain: तेजी से बदलती लाइफस्टाइल के कारण इन दिनों हमें कई समस्याओं का शिकार बना रही हैं। काम के बढ़ते प्रेशर और खानपान की वजह से सिर्फ शारीरिक ही नहीं, मानसिक सेहत भी काफी प्रभावित होती है। हमारे रहन-सहन का हमारी मेंटल हेल्थ पर गहरा असर पड़ता है। इन दिनों मानसिक सेहत से जुड़ी कई समस्याएं हमें अपनी चपेट में ले रही हैं।

पॉपकॉर्न ब्रेन इन्हीं समस्याओं में से एक है, जो इन दिनों काफी ट्रेंड में बना हुआ है। पिछले कुछ समय से यह टर्म लगातार सुनने को मिल रहा है।

जानें क्या है पॉपकॉर्न ब्रेन?

इन दिनों “पॉपकॉर्न ब्रेन” एक नए शब्द के रूप में उभरा है, जो एक कॉग्नेटिव स्टेट के बारे में बताता है, जिसमें दिमाग में तेजी से एक के बाद एक कई विचार आते हैं और ब्रेन उस पर स्थिर नहीं रह पाता है। यह ठीक उसी तरह होता है, जैसे पकने पर पॉपकॉर्न के दाने फूटते हैं। यह स्थिति आमतौर पर सभी उम्र में देखी जाती है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ तेज हो जाती है।

पॉपकॉर्न ब्रेन के लक्षण

पॉपकॉर्न ब्रेन आपकी प्रोडक्टिविटी को प्रभावित कर सकता है, जिसकी वजह से आपके लिए किसी पर भी ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है। यह आपको वास्तविक दुनिया से भी अलग कर सकता है और इसकी वजह से तनाव हो सकता है। इसके कुछ लक्षण निम्न हैं-

लगातार ध्यान भटकना

बार-बार रुकावट या नोटिफिकेशन चेक करने की इच्छा के कारण किसी भी एक जगह पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होना या फिर लगातार ध्यान भटकना।

ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

किसी एक कार्य पर गहन, निरंतर ध्यान केंद्रित करने के लिए संघर्ष करना या मुश्किल होना।

तनाव में रहना

जानकारी और कार्यों से ओवरलोडेड महसूस करना, जिससे आपके अंदर तनाव और बैचेनी की भावना पैदा होती है।

सोशल मीडिया में खुद की खोजना

लगातार सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना और ऑनलाइन इंटरैक्शन के जरिए अपनी वैल्यू या आत्म-मूल्य की तलाश करना।

पॉपकॉर्न दिमाग से बचने के टिप्स

दिमाग को शांत और स्थिर रखने के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लिमिट करें और इसके लिए टाइम सेट करें।

माइंडफुलनेस प्रैक्टिस करें

फोकस बढ़ाने और मानसिक अव्यवस्था को कम करने के लिए मेडिटेशन और डीप ब्रीथिंग जैसी माइंडफुलनेस टेकनीक की प्रैक्टिस करें।

एक फिक्स शेड्यूल बनाएं

तनाव और बैचेनी को कम करने के लिए एक फिक्स शेड्यूल बनाएं, जिससे आपको काम पूरा करने में घबराहट न हो।

कार्यों को प्राथमिकता दें

ओवरलोडेड महसूस करने से बचने के लिए अपने कामों की पहचान करें और ज्यादा जरूरी कार्यों को प्राथमिकता देने में अपना ध्यान केंद्रित करें।

नियमित ब्रेक लें

अपने दिमाग को तरोताजा करने, थकान को रोकने और प्रोडक्टिविटी में सुधार करने के लिए अपनी दिनचर्या से ब्रेक जरूर लें।