नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ स्थित NMDC Steel के विनिवेश की तैयारी कर ली है। सरकार अगले दो माह में इसकी वित्तीय बोलियां आमंत्रित कर सकती है, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वादा किया था कि इसका निजीकरण नहीं किया जाएगा।

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक खबर का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि इस इस्पात संयंत्र का निजीकरण वित्त वर्ष 2025 के अंत से पहले तय है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि नई विनिवेश योजना के तहत एनएमडीसी स्टील उपयुक्त कंपनी है। संयंत्र नया है और यह शेयरधारकों के लिए ज्यादा मूल्य तैयार कर सकता है। सरकार के निजीकरण के दिशा में कदम उठाने के फैसले के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है कि, पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बस्तर के लोगों से वादा किया था कि इस स्टील प्लांट का निजीकरण नहीं किया जाएगा। लेकिन अब सरकार अपने ही वादे से पीछे हट रही है। इस प्लांट को बेचने की योजना को अंतिम रूप दे रही है। हालांकि, इसे कौन खरीद सकता है, वह एक अलग कहानी है।

NMDC स्टील का बाजार पूंजीकरण
दरअसल, केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2022 में प्रवर्तक कंपनी एनएमडीसी से छत्तीसगढ़ के नगरनार स्टील प्लांट को अलग कर दिया था। 1 दिसंबर, 2022 को सरकार ने एनएमडीसी स्टील की रणनीतिक बिक्री के लिए अभिरुचि पत्र आमंत्रित किए थे और प्रस्तावित सौदे के लिए कई कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी। फरवरी 2023 में एनएमडीसी स्टील को 30.25 रुपये शेयर भाव पर स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध किया गया। कंपनी का शेयर 0.98 फीसदी बढ़त के साथ 53.82 रुपये पर बंद हुआ। एनएमडीसी स्टील का बाजार पूंजीकरण 15,773 करोड़ रुपये रहा। एनएमडीसी स्टील में सरकार की 60.79 फीसदी हिस्सेदारी है और 39.21 फीसदी आम शेयरधारकों के पास है। सरकार ने कंपनी में अपनी 50.79 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के साथ ही प्रबंधन का नियंत्रण भी छोड़ने का निर्णय किया है।

‘नगरनार स्टील प्लांट बस्तर के लोगों की संपत्ति…’
केंद्र सरकार के इस निर्णय पर कांग्रेस पार्टी ने पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को उनके वादे और कसम याद दिलाया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा है कि, ‘क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा!’ ऐसा लगता है कि बस्तर के एनएमडीसी स्टील प्लांट का वित्त वर्ष 2025 के अंत से पहले निजीकरण तय है। आप क्रोनोलॉजी समझिए। जयराम रमेश ने लिखा कि, 3 अक्टूबर 2023 को नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने स्टील प्लांट का उद्घाटन किया था। इस अवसर पर उन्होंने वादा किया था कि नगरनार स्टील प्लांट बस्तर के लोगों की संपत्ति है और उनकी ही रहेगी। 19 अक्टूबर 2023 को स्वयंभू चाणक्य ने प्रधानमंत्री के वादे को दोहराते हुए कहा कि एनएमडीसी के बस्तर स्टील प्लांट का निजीकरण नहीं किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में इस बात पर आम राय बन गई कि स्टील प्लांट को नहीं बेचा जाना चाहिए।

नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और उनकी सरकार…
रमेश ने लिखा कि, भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अप्रैल 2017 में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर प्लांट के निजीकरण पर आपत्ति जताई थी। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कई मौकों पर निजीकरण को लेकर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। 21 फरवरी 2021 को नीति आयोग की बैठक में तो उन्होंने एक कदम आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्ताव रखा था कि राज्य सरकार प्लांट के संचालन की ज़िम्मेदारी लेने को तैयार है। राज्य के राजनीतिक नेतृत्व की बातों पर ध्यान न देने और अपने वादों से पीछे हटने के बाद, नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और उनकी सरकार अब नगरनार स्टील प्लांट को बेचने की योजना को अंतिम रूप दे रही है। इसे कौन ख़रीद सकता है, वह एक अलग कहानी है।