0 जहां शिक्षा की पहुंच नहीं वहां AI के प्रशिक्षण का क्या औचित्य..?

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार नक्सलगढ़ में आधुनिक शिक्षा की अलख जगाने बस्तर के 800 स्कूलों में AI और रोबोटिक्स का पढ़ाई कराने जा रही है। इस मुद्दे पर सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि आधुनिक शिक्षा देने से पहले सरकार बेसिक व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर ले, तभी इसका लाभ बस्तर के बच्चों को मिल पाएगा।

निजी संस्था के सहयोग से होगी AI की पढाई

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों के सरकारी स्कूलों में अब रोबोटिक्स साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई कराई जाएगी। विष्णुदेव साय सरकार ने इसकी पहल की है। बस्तर के करीब 800 सरकारी स्कूलों का चयन इसके लिए किया गया है। मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से राज्य सरकार इन स्कूलों में इस तरह की पढ़ाई कराएगी। सरकार ने पूरे राज्य में सरकारी स्कूलों में कौशल शिक्षा को एकीकृत करने के लिए तीन साल की साझेदारी की है। डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने सोशल मीडिया एक्स में पोस्ट कर जानकारी दी है कि “बस्तर के बच्चों को AI की शिक्षा मिलेगी। 800 स्कूलों के बच्चे रोबोटिक्स की पढ़ाई करेंगे। बस्तर जल्द विकास के नए सोपान लिखेगा।”

पूर्व मंत्री ने सरकार पर साधा निशाना

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डॉ शिव कुमार डहरिया ने बस्तर में रोबोटिक्स और AI की पढ़ाई को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि पहले बस्तर में जो 400 से अधिक स्कूल बंद हुए थे, उसको चालू करवा लें, प्राथमिक स्कूल अच्छे से संचालित हों, उसके बाद फिर आधुनिक पढ़ाई की बात करें। केवल प्रचार करने के लिए इस तरहका कार्य कर रहें है, इससे बस्तर के बच्चों का फायदा नहीं होगा।

नक्सल समस्या से जूझ रहे बस्तर में शिक्षा का स्तर कैसा है यह किसी से छिपा नहीं है। सरकार इस प्रयास में है कि बस्तर से नक्सलवाद को खत्म करने के साथ ही वहां बंद हो चुके स्कूलों को खोला जाये। इस बीच वहां के स्कूली छात्रों के लिए रोबोटिक्स साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की पढ़ाई का अवसर भी दिया जा रहा है। इसे लेकर कांग्रेस के संदेह के बीच अब देखना होगा कि बस्तर जैसे पिछड़े इलाके, जहां मोबाइल नेटवर्क भी अच्छी तरह नहीं है, वहां के बच्चों को इस नई तकनीक की शिक्षा का कितना लाभ मिल पाता है।