रायपुर। एक समय था जब रेव पार्टी फिल्मों या महानगरों तक ही सीमित थे। मगर अब राजधानी रायपुर के युवा भी इस कल्चर से अछूते नहीं हैं। बता दें कि महानगरों के होटलों और बड़े शहरों से जुड़े इलाकों के फॉर्म हाउसों में आमतौर पर रेव पार्टियां हुआ करती हैं। जिसमें युवा लोगों की बड़े पैमाने पर शिरकत होती है। आमतौर पर ये बड़े और धनी घरों से ताल्लुक रखने वाले ही होते हैं। एक रात की इस पार्टी में लाखों रुपये बहा दिये जाते हैं।

कुछ ऐसा ही नजारा राजधानी रायपुर के होटल ललित महल में देखने मिला। इस होटल में जहां रेव पार्टी चल रही थी उस स्थान को लाल रंग के एलईडी लाइट से सजाया गया था। पार्टी शुरू हुई ही थी कि हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता पहुंचे और उन्होंने पूरे स्टेज जहां पार्टी हो रही थी उसे अपने कब्जे में ले लिया। उन्होंने मर्यादा में रहकर इस तरह के आयोजन करने की मांग की है। इस दौरान मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा जय श्री राम के नारे लगाए गए और राम भजन भी गाया।

क्या होती है रेव पार्टी

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के हिसाब से बिना किसी कंट्रोल के बोलने को रेव कहते हैं। ऐसे में कई लोग इसे अनकंट्रोल से जोड़ते हैं। वहीं पार्टी का मतलब होता है, एक ऐसा सोशल इवेंट, जिसमें कुछ लोग एक जगह मिलते हैं और खाते-पीते हैं, डांस करते हैं और एंजॉय करते हैं। अब कुल मिलाकर ऐसी पार्टियां जहां बिना किसी रोक-टोक लोग मस्ती करते हैं उन्हें रेव पार्टी कहा जा सकता है।

देश के सभी बड़े शहरों में इस तरह की पार्टियों का चलन बढ़ गया है। इन पार्टियों में दो खास तरह की ड्रग्स का चलन ज्यादा है। जिसको लेने के बाद युवा छह से आठ घंटे डांस कर सकते हैं। हालांकि ये ड्रग्स बहुत नुकसानदायक भी होती हैं। ये दोनों ड्रग्स गैरकानूनी है मगर रेव पार्टियों में ये आसानी से उपलब्ध रहती हैं। इन ड्रग्स का नाम है एसिड और इक्सटैसी।

जानें रेव पार्टी और लाल रंग की लाइट का कनेक्शन

टेक्निकल एक्सपर्ट्स की मानें तो रेव पार्टियों में अक्सर लाल रंग की लाइट का उपयोग करने का मुख्य कारण यह है कि लाल लाइट का क्लब के माहौल और मूड पर पर असर करती है। लाल रंग नशे को और बढ़ाता है और उसे चरम पर ले जाता है। लाल रंग की रौशनी का मानव शरीर पर उत्तेजक प्रभाव पड़ता है, जिससे एड्रेनालाईन हार्मोन का स्राव होता है और हृदय गति बढ़ जाती है। यह माहौल को और रोमांचकारी बना देता है। लाल रंग की लाइट में विजिबिलिटी भी कम होती है। ऐसे में हम क्या कर रहे होते हैं यह देखना या समझ पाना थोड़ा मुश्किल होता है।