0 मेडिकल की एक सीट खाली रखने का निर्देश

बिलासपुर। नीट यूजी की भर्ती प्रक्रिया में विकलांगता प्रमाणित करने के लिए जिला मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी प्रमाणपत्र को हाईकोर्ट ने वैध ठहराया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता विवेक भोई को छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल बोर्ड, रायपुर के समक्ष प्रस्तुत होने का निर्देश दिया है, जहां जिला बोर्ड के प्रमाणपत्र और छात्र की पुनः जांच के बाद अंतिम प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। कोर्ट ने आदेश दिया कि इस प्रक्रिया के पूरा होने तक छात्र की आवंटित सीट खाली रहेगी।

कॉलेज प्रशासन ने अस्वीकार कर दिया था प्रमाण पत्र

महासमुंद जिले के ग्राम अर्जुन्दा निवासी विवेक भोई को स्वर्गीय लखीराम शासकीय मेडिकल कॉलेज रायगढ़ में दाखिला प्रक्रिया के दौरान विकलांगता प्रमाणपत्र को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ा। जिला मेडिकल बोर्ड, महासमुंद द्वारा जारी प्रमाणपत्र को कॉलेज प्रशासन ने अस्वीकार कर दिया और विवेक को प्रवेश देने से इंकार कर दिया। कॉलेज के डीन का कहना था कि केवल राज्य मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी विकलांगता प्रमाणपत्र ही मान्य है।

हाई कोर्ट की ली शरण

इसके बाद विवेक ने अधिवक्ता धीरज वानखेड़े के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि जिला मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी प्रमाणपत्र विकलांगता नियम 2017 के अनुरूप है और इसे अस्वीकार करना अधिनियम 2016 और नियम 2017 के प्रावधानों के खिलाफ है। याचिका में यह भी बताया गया कि राज्य मेडिकल बोर्ड उस समय काम नहीं कर रहा था, जिससे विवेक को वैध प्रमाणपत्र नहीं मिल सका।

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि जिला मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी प्रमाणपत्र वैध है। कोर्ट ने विवेक को छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल बोर्ड, रायपुर के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया, ताकि वहां पुनः जांच के बाद विकलांगता प्रमाणपत्र जारी किया जा सके। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इस प्रक्रिया के पूर्ण होने तक विवेक की सीट खाली रहेगी।

राज्य मेडिकल बोर्ड से परीक्षण हुआ अनिवार्य

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से विकलांगता का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी करने के मामले काफी बढ़ गए हैं। दिव्यांग सेवा संघ के लंबे संघर्ष और मांग के बाद सरकार ने कुछ समय पूर्व ही राज्य मेडिकल बोर्ड द्वारा परीक्षण के बाद जारी विकलांगता प्रमाण पत्र को प्रवेश अथवा नौकरी ज्वाइन करने से पूर्व हासिल करना अनिवार्य कर दिया है।