टीआरपी डेस्क। दिल्ली की अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ हत्या, गैरकानूनी रूप से भीड़ जुटाना, दंगा करना, उकसाने, विभिन्न समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काना, घर में घुसपैठ और चोरी जैसे गंभीर आरोप तय कर दिए हैं।

स्पेशल जज राकेश सियाल ने यह स्पष्ट किया है कि टाइटलर ने CBI द्वारा लगाए गए आरोपों को नकारते हुए कहा था कि वह दोषी नहीं हैं, इसलिए अब इन आरोपों के आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा चलेगा। इस मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। अदालत ने 30 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में कहा था कि टाइटलर के खिलाफ हत्या के मामले में मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं।

CBI ने 20 मई 2023 को टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें उन पर भीड़ को उकसाने और गुरुद्वारे में आग लगाने का आरोप लगाया गया। इस हिंसा में तीन सिख – ठाकुर सिंह, बादल सिंह, और गुरुचरण सिंह – की मौत हुई थी। चार्जशीट के अनुसार, एक गवाह ने आरोप लगाया कि 1 नवंबर 1984 को टाइटलर ने गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने भीड़ को उकसाते हुए कहा, “सिखों को मारो, उन्होंने हमारी मां को मारा है।”

जगदीश टाइटलर: विवादों में घिरे एक नेता

जगदीश टाइटलर 2004 में मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री थे, लेकिन विरोध के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। पिछले साल दिल्ली नगर निगम चुनाव के लिए उन्हें समिति में शामिल करने पर विवाद खड़ा हुआ। टाइटलर को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल होना था, लेकिन विवाद से बचने के लिए उन्होंने यात्रा में भाग नहीं लिया।

तीन बार क्लीन चिट मिलने के बाद भी फंसे टाइटलर

CBI ने पहले तीन बार टाइटलर को सिख दंगा मामले में क्लीन चिट दी थी। 2007 में पहली बार क्लीन चिट मिलने के बाद अदालत ने उसे खारिज कर दोबारा जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद 2013 में भी CBI ने सबूतों के अभाव का हवाला देकर उन्हें क्लीन चिट दी थी।