Tirupati Laddu Row: तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में मिलावट का मामला सामने आने के बाद पूरे देश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट तक याचिका दायर की गई है। आरोप है कि प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाई गई है, जिससे हिंदुओं की धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ किया गया है। हालांकि, इन विवादों के बावजूद तिरुपति मंदिर में लड्डू की बिक्री पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। बीते 4 दिनों में करीब 14 लाख लड्डू बेचे गए हैं, जो इस बात की गवाही देता है कि भगवान वेंकटेश्वर के प्रसादम् में भक्तों की आस्था अब भी बरकरार है।

15 टन घी का रोजाना उपयोग

तिरुपति मंदिर में प्रतिदिन लड्डू बनाने के लिए लगभग 15 टन गाय के घी का इस्तेमाल किया जा रहा है। मंदिर प्रशासन के अनुसार, 19 सितंबर को 3.59 लाख लड्डू, 20 सितंबर को 3.17 लाख, 21 सितंबर को 3.67 लाख, और 22 सितंबर को 3.60 लाख लड्डू बेचे गए। इस बीच, प्रसाद में मिलावट को लेकर मंदिर की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए जा रहे हैं, खासकर तब जब जांच में घी में पशुओं की चर्बी मिलने की पुष्टि की गई है।

कैसे सामने आई मिलावट?

मिलावट की जानकारी तब सामने आई जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) की रिपोर्ट के आधार पर चिंता जताई। एक जांच रिपोर्ट के अनुसार तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को घी की आपूर्ति करने वाली एआर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड ने घी में पशुओं की चर्बी मिलाई थी। घी की घटिया गुणवत्ता की जांच के लिए मंदिर प्रशासन ने सभी आपूर्तिकर्ताओं की घी की गुणवत्ता की जांच कराई, जिसमें यह खुलासा हुआ।

एफएसएसएआई का नोटिस

खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने तमिलनाडु स्थित एआर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड को इस मिलावट के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। एफएसएसएआई ने कंपनी से पूछा है कि खाद्य सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने के लिए उसका लाइसेंस क्यों न रद्द कर दिया जाए।

शंकराचार्य का सख्त रुख

उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी मिलाने की घटना को लेकर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने मंदिर प्रशासन को इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है। शंकराचार्य ने कहा, इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी मंदिर के ट्रस्ट और अधिकारी दोषी हैं, क्योंकि यह उनके कार्यकाल में हुआ है।