रायपुर। छत्तीसगढ़ आबकारी घोटाले के तहत रायपुर की EOW और ACB ने झारखंड में एक नई FIR दर्ज की है, जिसमें IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे, जो झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व सचिव रहे हैं, और आबकारी विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप लगाए गए हैं।

बता दें कि छत्तीसगढ़ की तर्ज पर ही झारखंड में बड़े पैमाने पर शराब घोटाला होने का आरोप है। जिसके तार भी छत्तीसगढ़ से जुड़े हैं ऐसे में झारखंड के अफसरों की शिकायत पर ईओडब्लू ने पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा, एपी त्रिपाठी, अरविंद सिंह, झारखंड को दो अफसर सहित सात लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। जांच एजेंसी ने यह अपराध एक सप्ताह पूर्व दर्ज किया है। ईओडब्लू में झारखंड शराब घोटाले को लेकर जो अपराध दर्ज है, उसके मुताबिक दिसंबर 2022 में झारखंड की शराब नीति टेंडर में बदलाव किया गया है। 

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में पहले भी हुई थी पूछताछ

झारखंड के जिन अधिकारियों पर मामला दर्ज हुआ है, उनसे छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में भी ED द्वारा पूछताछ की जा चुकी है। इस FIR में झारखंड के IAS विनय कुमार चौबे, आबकारी विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, और छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा को भी आरोपी बनाया गया है। इनके अलावा, झारखंड में शराब आपूर्ति करने वाली कंपनियां भी शामिल हैं।

FIR के मुख्य बिंदु

FIR में आरोप है कि छत्तीसगढ़ में अवैध शराब कारोबार से जुड़े सिंडिकेट ने जनवरी 2022 में झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर राज्य में शराब बिक्री का नियम बनवाया। इसके लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड में कंसल्टेंट बनाया गया और उन्हें 1.25 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

साजिश के तहत निविदा में 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त रखी गई, जिससे शराब सिंडिकेट को फायदा हो। इसका नतीजा यह हुआ कि 2022-23 में झारखंड को राजस्व का भारी नुकसान हुआ। जांच के दौरान एक कारोबारी के कब्जे से मिली डायरी में झारखंड में शराब कारोबार पर कब्जे की साजिश का भी जिक्र मिला है।

वहीं झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस मामले पर कहा कि हेमंत सोरेन सरकार जाते-जाते फिर से बड़ा घोटाला करने की तैयारी में है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने शराब नीति में बार-बार बदलाव कर चुनाव के लिए काला धन जुटाने का प्रयास किया है। मरांडी का आरोप है कि इस बार पंजाब और हरियाणा के शराब माफियाओं को शामिल कर सरकार चुनावी फंड जुटाने की योजना बना रही है।

मरांडी ने दावा किया कि इस घोटाले का उद्देश्य चुनाव के समय गांव-गांव में शराब बांटकर वोट जुटाना है और इसके लिए सरकार ने शराब दुकान के ठेकों को तीन साल के लिए सौंपने की योजना बनाई है, जबकि उसका कार्यकाल केवल दो महीने ही बचा है।