रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए 2200 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले के मामले में आरोपी आबकारी विभाग के निलंबित अधिकारियों अरुणपति त्रिपाठी और त्रिलोक ढिल्लन की जमानत याचिका को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक बार फिर से खारिज कर दिया है।
जस्टिस अरविन्द कुमार वर्मा की अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह मानव अधिकारों का भी उल्लंघन करता है। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि भ्रष्ट लोकसेवकों का पता लगाना और उन्हें दंडित करना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का मुख्य उद्देश्य है।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने हाईकोर्ट ने इस जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद से दोनों आरोपियों ने अपनी जमानत अर्जी में विभिन्न तर्क दिए थे, लेकिन कोर्ट ने उनके दावों को स्वीकार नहीं किया।
प्रवर्तन निदेशालय (EOW) ने इस शराब घोटाले के साथ-साथ नकली होलोग्राम मामले में भी एफआईआर दर्ज किया है। बता दें कि EOW की जांच के बाद, अधिकारियों ने त्रिपाठी और ढिल्लन को गिरफ्तार किया था। अरुणपति त्रिपाठी पहले आबकारी विभाग में महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत थे, जबकि त्रिलोक ढिल्लन एक कारोबारी हैं। दोनों ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।