टीआरपी डेस्क। शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। इस नौ दिनी पर्व में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। आज, 5 अक्टूबर, नवरात्रि का तीसरा दिन है, जो मां चंद्रघंटा को समर्पित है।

मां चंद्रघंटा, शक्ति और साहस की प्रतीक, अपने भक्तों के सभी दुखों और कष्टों को दूर करती हैं। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है, जिससे उन्हें “चंद्रघंटा” कहा जाता है। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा ने त्रिशूल, तलवार और गदा धारण कर राक्षसों का संहार किया और धरती पर शांति और न्याय की स्थापना की।

पूजा विधि:

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है। भक्तों को “ऊं देवी चंद्रघंटायै नम:” मंत्र का जप करते हुए उनकी आराधना करनी चाहिए। पूजा में मां को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। मां को दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती का पाठ भी हर दिन नियम से करना चाहिए।

मां चंद्रघंटा की पूजा भक्तों को साहस और आत्मबल प्रदान करती है और उनके जीवन से हर प्रकार की नकारात्मकता को दूर करती है।