टीआरपी डेस्क। चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन की पूजा माँ कालरात्रि को समर्पित होती है, जिनका स्वरूप देवी दुर्गा के सातवें रूप के रूप में पूजा जाता है। माँ कालरात्रि को तंत्र, मंत्र, और यंत्र की देवी के रूप में माना जाता है, जिनकी पूजा से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

पूजा का मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा के लिए विशेष मुहूर्त दिए गए हैं, जिनका पालन करने से पूजा सफल मानी जाती है। प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:26 ए एम से 05:11 ए एम
  • प्रातः संध्या: सुबह 04:48 ए एम से 05:55 ए एम
  • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:56 ए एम से 12:47 पी एम
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 पी एम से 03:21 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:46 पी एम से 07:08 पी एम
  • अमृत काल: रात 12:32 ए एम से 02:14 ए एम
  • निशिता मुहूर्त: रात 11:58 पी एम से 12:43 ए एम
  • सर्वार्थ सिद्धि योग: अप्रैल 16 को 03:05 ए एम से 05:54 ए एम

माँ कालरात्रि का भोग

माँ कालरात्रि को गुड़ का भोग प्रिय होता है। पूजा में गुड़ की खीर या गुड़ से बनी अन्य मिठाइयों का भोग लगाना शुभ माना जाता है, जिससे माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शुभ रंग और प्रिय पुष्प

माँ कालरात्रि का प्रिय रंग लाल है। ऐसे में लाल वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ होता है। माँ को लाल गुड़हल या गुलाब के पुष्प चढ़ाने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है।

माँ कालरात्रि का स्वरूप

माँ कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला होता है, उनके चार हाथ और तीन नेत्र होते हैं। उनके बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत माला धारण करती हैं। उनके एक हाथ में तलवार, दूसरे में लोहे का शस्त्र, तीसरे हाथ में वरमुद्रा और चौथे में अभयमुद्रा होती है।

पूजा-विधि

सुबह स्नान करके मंदिर को साफ करें। माँ का गंगाजल से अभिषेक करें और लाल चंदन, अक्षत, सिंदूर, चुनरी और फूल अर्पित करें। देवी को प्रसाद के रूप में फल, मिठाई और गुड़ चढ़ाएं। धूप, दीप जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में माता की आरती करें।

माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व

माँ कालरात्रि की आराधना से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। माँ कालरात्रि दुष्ट आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं। इनकी पूजा से ग्रह बाधाएं भी दूर हो जाती हैं और हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।