रायपुर। कांग्रेस पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ ने प्रदेश में अप्रवासी भारतीयों (NRI) के छत्तीसगढ़ में मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस एवं अन्य सभी चिकित्सा व्यवसाय संबंधी प्रवेश में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन कराने की मांग की है। दरअसल पंजाब सरकार ने NRI के रिश्तेदारों की जो व्याख्या की थी उसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है, ऐसे ही नियम छत्तीसगढ़ में भी हैं, जिसे कोर्ट के फैसले के बाद रोकने के मांग उठाई गई है।
जानें, क्या है मामला..?
कांग्रेस पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने इस मुद्दे को लेकर प्रेस वार्ता ली और बताया कि मेडिकल कॉलेजों में NRI की भर्ती को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला 24 सितंबर 2024 को जारी हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय ने NRI की भर्ती के संबंध में पंजाब उच्च न्यायालय के आदेश को सही ठहराया है। पूर्व में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसमें पंजाब राज्य के मेडिकल कॉलेजों में अप्रवासी भारतीय (NRI) कोटा से एडमिशन की शर्तों में संशोधन किया गया था। अप्रवासी भारतीय छात्र कोटा से पंजाब सरकार के एमबीबीएस प्रवेश के तरीके को गलत कहा गया और पंजाब सरकार के नोटिफिकेशन को पंजाब हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
पंजाब हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ वहां की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, मगर यहां भी कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहरा दिया।
फैसले के बाद भी जारी है छग में भर्ती
राकेश गुप्ता ने बताया कि 24 सितंबर 2024 को जारी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद भी 27 सितंबर 2024 को छत्तीसगढ़ शासन के पुराने नियम के तहत ही काउंसलिंग और सीट आवंटन की प्रक्रिया की गई है। जबकि उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया है कि अप्रवासीय भारतीयों के कोटे में दूर के रिश्तेदारों को एडमिशन में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता है।
मेडिकल सीट में 15% है NRI कोटा..!
बता दें कि प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटा के तहत 15% सीट निर्धारित है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वर्तमान वर्ष में स्नातक प्रवेश प्रक्रिया चिकित्सा शिक्षा विभाग मंत्रालय, महानदी भवन नया रायपुर, छत्तीसगढ़ चिकित्सा दंत चिकित्सा एवं भौतिक चिकित्सा फिजियोथैरेपी स्नातक प्रवेश नियम 25 मई 2018 की नियमावली के अनुसार भर्ती प्रक्रिया की गई है।
इन्हें माना गया था रिश्तेदार…
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कराई गई स्नातक प्रवेश नियम 2018 के पारित किए गए निर्णय अनुसार ही पंजाब सरकार की तरह अप्रवासी भारतीयों के पिता, माता, भाई, बहन, भाई की, बहन की संतान, चाचा, चाचा की संतान, बुआ, बुआ की संतान, नाना, नानी, दादा, दादी से रिश्ता लिया गया था। जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने ‘फ्रॉड’ कहकर नकार दिया है। इस प्रकार अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के प्रवेश कोटे में दूर के रिश्तेदारों के आधार पर आरक्षण के विस्तार पर रोक लग गई है।
वास्तविक NRI को नहीं मिलता लाभ
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि रिश्तेदार की परिभाषा को व्यापक बनाने से संभावित दुरूपयोग का द्वार खुल जाता है, जिससे वास्तविक अप्रवासी भारतीय और उनके बच्चों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बनाई गई नीति में योग्य उम्मीदवारों को मदद नहीं मिलती है।
सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त पारित निर्णय के बाद अप्रवासी कोटा में उपरोक्त दूर के रिश्ते के आधार पर मेडिकल सीटों में प्रवेश नहीं दिया जाना है। मगर पंजाब उच्च न्यायालय के निर्णय पर सर्वोच्च न्यायालय की 24 सितंबर 2024 की स्वीकृति के बाद छत्तीसगढ़ शासन ने 27 सितंबर को काउंसलिंग प्रक्रिया 2018 के नियम के अनुसार किया है, ऐसा करना सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना प्रतीत होता है।
प्रदेश में निजी मेडिकल कॉलेज के द्वारा छत्तीसगढ़ शासन के 2018 के नियमों के अनुसार भर्ती करते हुए अप्रवासी कोटा में प्रवेश दिया जा रहा है जिससे नीट परीक्षा में सफल छात्र सूची से बाहर हो रहे हैं जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका पर निर्णय देते हुए इसे रोकने का आदेश दिया है।
करोड़ों के वारे-न्यारे की आशंका
बताया जा रहा है कि NRI कोटे से भर्ती के लिए छत्तीसगढ़ के कतिपय निजी मेडिकल कॉलेज पूर्व में 75 लाख रूपये तक लेते थे, मगर इस बार यह वसूली डेढ़ करोड़ रूपये तक पहुंच गई है। दरअसल मेडिकल की पढ़ाई के लिए एडमिशन की होड़ रहती है, इसके लिए अलग से निर्धारित कोटे का लाभ लिया जाता है और इन कोटे से कॉलेज प्रबंधन को मोटी रकम मिल जाती है। इनमें NRI के कोटे में रिश्तेदारों का जो नियम बनाया गया था, उसका बहुत ही गलत तरीके से लाभ उठाया जा रहा था।
सूत्र बताते हैं कि दलालनुमा लोग NEET में कम नंबर आने के बाद भी इस तरह के कोटे से एडमिशन दिलाने का ठेका ले लेते हैं। इसके बदले में मोटी रकम चुकानी पड़ती है। दलाल लोग NRI के रिश्तेदार का प्रमाण पत्र बनवा कर ऐसे लोगों को एडमिशन दिलवा देते हैं।
NRI छात्रों की भर्ती निरस्त करने की मांग
कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने इस संबंध में मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और अन्य संबद्ध लोगों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि निजी चिकित्सा संबंधी कॉलेज में एनआरआई नियतांक श्रेणी की सीटों में केंद्रीय अधिनियम की परिभाषा के अनुसार प्रवासी होने से संबंधित समुचित प्रमाण पत्र, परिभाषा एवं श्रेणी के अनुसार प्रवेश देने एवं निर्धारित तिथि तक विद्यार्थी उपलब्ध न होने पर मुक्त (ओपन )श्रेणी के NEET उत्तीर्ण विद्यार्थियों को मेरिट के अनुसार प्रवेश देने संबंधी निर्देश तत्काल प्रभाव से जारी करें। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के हुए आदेश के विरुद्ध किये गए सभी अप्रवासी छात्रों का प्रवेश निरस्त किया जाए तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 24 सितंबर 2024, पंजाब राज्य एवं अन्य विरुद्ध गीतन वर्मा एवं अन्य में पारित निर्णय का पालन कराया जाये।