रायपुर। हसदेव में परसा कोल ब्लॉक के विरोध में पिछले ढाई साल से ग्राम हरिहरपुर में स्थानीय आदिवासी समुदाय आंदोलन कर रहा है। परसा कोल ब्लॉक के साल्ही गांव के जंगलों की कटाई की सुगबुगाहट 16 अक्टूबर से शुरू हो गई है। शाम को पुलिस आ गई और 17 अक्टूबर को बड़ी संख्या में पुलिस बल की संरक्षण में जंगलों की कटाई शुरू हुई, जिसे रोकने के लिए लोग प्रदर्शन करने लगे तो लाठीचार्ज किया गया। ग्रामीणों को गंभीर चोटें आई और महिलाएं भी घायल हुई। पुलिस ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया और पेड़ों की कटाई शुरू हो गई। यह बातें छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने रायपुर प्रेस क्लब में कॉन्फ्रेंस के दौरान कही।

दूसरी ओर छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में परसा कोल ब्लॉक के प्रभावित ग्रामसभाओं के फर्जी प्रस्ताव की जांच रिपोर्ट नहीं सौंपे जाने के कारण बड़ी संख्या में आयोग के कार्यालय में धरना देकर बैठे हुए हैं। फिलहाल आयोग के सचिव दफ्तर में नहीं हैं और प्रभावित उनसे जांच रिपोर्ट देने की मांग कर रहे हैं। प्रभावितों का कहना है कि जब तक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती, हम यहां से नहीं हिलेंगे। परसा कोल खदान के फर्जी ग्राम सभा संबंधी रिपोर्ट तैयार हो चुकी है लेकिन आयोग के सचिव इस पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे है, जिससे नाराज होकर प्रभावितों ने धरना जारी रखा है।
इस मामले में आलोक शुक्ला ने कहा कि राजस्थान को कोयला पहुंचाने और अडानी का कारोबार बढ़ाने के लिए हसदेव जंगल में एक नई खदान, परसा कोयला खदान, को जबरन चलाने के लिए निर्दाेष ग्रामीणों पर लाठीचार्ज और दमनात्मक कार्रवाई की गई। परसा कोयला खदान के लिए वन और पर्यावरणीय स्वीकृतियां फर्जी दस्तावेजों पर आधारित हैं, और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने इस खदान को तुरंत निरस्त करने की मांग की है। इस दौरान जनक लाल ठाकुर, बी के रावटे, सुदेश टीकम, रामलाल करियम, उमेश्वर सिंह ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया।
रात के साढ़े आठ बज रहे है और खबर लिखे जाने तक ग्रामीण अनुसूचित जनजाति आयोग के दफ्तर में धरना दिए बैठे हुए हैं।