रायपुर। सरकार जब कोई नई नीति बनाती है तो लोगों को लगता है कि अब पहले से कुछ बेहतर होगा। नई योजना लाने से पहले उसका प्रचार-प्रचार किया जाता है और यह बताया जाता है कि आमजन को इससे क्या लाभ मिलने वाला है।

वैसे ही छत्तीसगढ़ में 2018 के दौरान जेम पोर्टल को हरी मिली। जेम का उद्देश्य सरकारी विभाग और सार्वजनिक उपक्रमों में होने वाली खरीदी में पारदर्शिता लाना था। जेम पोर्टल एक खुला मंच है, जिसमें सरकार विभाग की आवश्यकतानुसार छोटे-बड़े उद्यमियों से खरीदी करती है। पोर्टल पारदर्शी होने से छोटे उद्यमियों को लगा कि उन्हें भी अब टेंडर के माध्यम से सरकार के साथ काम करने का मौका मिलेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अधिकारियों ने जेम पोर्टल को अपने रिकिरिंग इनकम का माध्यम बना लिया और सप्लायरों से सांठगांठ कर एक नए स्कैम को अंजाम दिया।

सरकारी खरीदारी में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से जिस जेम पोर्टल की शुरूआत की गई, उसे ही एक संगठित स्कैम करने का जरिया बना लिया गया। सरकार के लगभग सभी विभाग के अधिकारियों ने सप्लाई करने वाली फर्मों के साथ सांठगांठ कर जेम पोर्टल को रिकिरिंग इनकम को स्रोत बना लिया। जेम पोर्टल के माध्यम से अपनी जेब भरने वाले विभागों में आदिमजाति कल्याण एवं विकास विभाग सबसे आगे हैं। वहीं, नगरीय प्रशासन विकास विभाग और खेल एवं युवा कल्याण विभाग भी इसमें पीछे नहीं है।

छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियमों की अनदेखी, जेम से खरीदारी जारी
जेम की पॉलिसी को टूलकिट बनाते हुए राज्य के बुनकरों के विकास की रफ्तार को धीमा करते, उन्हें पीछे ढकेलने का काम राज्य के अधिकारी कर रहे हैं। शासकीय विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में लगने वाले वस्त्र एवं रडीमेड गारमेंट्स छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम 2002 के नियम- 8 के अनुसार हाथकरघा बुनकर सहकारी समितियां या खादी बोर्ड से पंजीकृत इकाईयों द्वारा उत्पादित सामग्रियों का क्रय इन संस्थाओं से उनके द्वारा निर्धारित दर पर की जाएगी। सभी विभागों को इन इकाईयों से खरीदी करना अनिवार्य है लेकिन आदिम जाति कल्याण विभाग वस्त्रों की खरीदी जेम पोर्टल द्वारा कर रही हैं, जो नियम विरूद्ध है।

इस मामले में विशेषज्ञ मानते है कि हथकरघा भारत की सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का एक अहम जरिया है। राज्य में वस्त्र खरीदी के लिए शासन का यह नियम है कि विभागों को हथकरघा के ईकाईयों से खरीदी करना है। देश में कई राज्य बुनकरों की आजीविका निर्विघ्न रूप से चलाने के उद्देश्य से हैंडलूम की ईकाईयों को संरक्षित रखने योजनाएं संचालित करती है। जबकि जेम की पॉलिसी के सामने बुनकरों को पीछे ढकलने की दिशा में काम किया जा रहा है। जेम द्वारा निविदाएं जारी कर बुनकरों को प्रतिस्पर्धा से बाहर कर उनके लिए चलाई जा रही योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी की जा रही है।

खेल सामग्री सप्लाई करने वाले 17 फर्म एक साथ डिस्क्वालिफाई
खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने जेम पोर्टल के माध्यम से जुडा मैट की सप्लाई करने के लिए निविदा जारी की। खेल सामग्री सप्लाई करने कई फर्मों ने टेंडर भरा लेकिन एक को छोड़कर सभी 17 फर्मों को डिस्क्वालिफाई कर दिया गया। सभी फर्मों को एक ही कारण बताया गया और ओईएम ऑथोराइजेशन संबंधित दस्तावेज के आभाव में उन्हें डिस्क्वालिफाई कर दिया गया, जबकि सभी फर्मों ने वह दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। उसके बावजूद फर्मों ने एक बार फिर पोर्टल में चौलेंज-रिप्रेजेंटेशन सेक्शन में जाकर दस्तावेज अपलोड किया लेकिन उन्हें आखिरकार डिस्क्वालिफाई कर ही दिया गया।

किसी विशेष फर्म को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सभी दावेदारी करने वाले फर्मों को डिस्क्वालिफाईड किया गया। जेम के नियमों की अवहेलना की गई और यह टेंडर मेसर्स नितेश रायचा को मिला।

नियम विरूद्ध 14 करोड़ की खरीदी की तैयारी
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने नगर पालिक निगम दुर्ग को लगभग 14 करोड़ वाहन और उपकरणों की खरीदी की अनुमति दी। जिसके आधार पर सितंबर में टेंडर लगाया जा चुका था, जिसे बिना कोई ठोस कारण बताए बिना 12 सितंबर को निरस्त कर दिया गया और उसी दिन नियमविरूद्ध रात 10.30 बजे कार्यालयीन समय के बाद एक विशेष ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के उद्देश से बीड जेम पोर्टल पर लगाई गई। टेंडर में ट्राईसाइकिल, व्हील बेरो, फटका मशीन में आरटीओ दस्तावेजों की मांग की गई और स्पेसिफिकेशन बंद हो चुके सीएसआईडीसी के आरसी के अनुसार मांगे गए, जबकि शासन के आदेश पर इसे बंद किया जा चुका है। बेलिंग मशीन की अनुमानित लागत 38 लाख है, उसके बावजूद 10 करोड़ का टर्नओवर और 50 लाख की बैंक सॉल्वेंसी मांगी गई है जो जेम और भंडार क्रय अधिनियम का उल्लघंन है।

मामले की शिकायत नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के संचालक से शिकायत की गई, जिसपर गलतियां सुधारने संशोधन पत्र जारी किया गया। यह संशोधन पत्र दुर्गा अष्टमी यानी शासकीय अवकाश पर रात 10 से 11.30 बजे के बीच जारी हुआ। यानी एक गलती छिपाने के लिए विभाग ने एक और गलती की। साथ ही चौलेंज-रिप्रेजेंटेंशन का जवाब भी रात 11 बजे के बाद दिया जा रहा है। टेंडर प्रक्रिया में ऐसी लापरवाही अधिकारियों और मटेरियल सप्लाई करने वाली फर्मों के सांठगांठ का दर्शाता है। मामले की शिकायत संचालक और विभागीय मंत्री से करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

छत्तीसगढ़ में पहले क्या थी प्रक्रिया
छत्तीसगढ़ में 2018 में जेम पोर्टल को हरी झंडी मिली, इससे पहले सरकारी खरीदारी निविदा और रेट कॉन्ट्रैक्ट के जरिए की जाती रही, जिसमें काफी समय लगता था और इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार होने की पूरी आशंका रहती थी। इस प्रक्रिया में अलग-अलग विभागों द्वारा मैन्युअल निविदा प्रक्रिया अपनाई जाती थी, जिसमें निविदाएं जारी की जाती थीं और विभिन्न विक्रेताओं से बोली मंगाई जाती थी या रेट कॉन्ट्रैक्ट कर ली जाती थी। यह प्रक्रिया पारदर्शिता की कमी, समय की बर्बादी और भ्रष्टाचार की संभावना से ग्रस्त रहती थी। अक्सर बड़े व्यवसायों को ही सरकारी अनुबंध मिलते थे, जिससे छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए अवसर सीमित हो जाते थे। जेम पोर्टल को इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए शुरू किया गया ताकि सरकारी खरीदी को डिजिटल व पारदर्शी बनाया जा सके और जिससे छोटे व्यवसायों को भी समान अवसर मिले। जबकि आज परिस्थितियां इसके विपरीत हैं।