नेशनल डेस्क। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। चुनाव हारने वाले 53 प्रत्याशियों ने जूम मीटिंग के दौरान फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को बताया कि हार का कारण ईवीएम नहीं, बल्कि पार्टी के अंदरूनी गुटबाजी और भितरघात था।

हालांकि, कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व हार का दोष ईवीएम पर डाल रहा था, लेकिन अधिकतर प्रत्याशियों ने इस दावे को खारिज कर दिया। उनका कहना है कि आपसी मतभेद और नेताओं की तालमेल की कमी हार का प्रमुख कारण बना। अगर सभी एकजुट होते, तो कांग्रेस को लगातार तीसरी बार हार का सामना नहीं करना पड़ता। कई नेताओं ने प्रचार और संगठन में तालमेल की कमी की ओर इशारा किया, जबकि कुछ ने कुमारी सैलजा की नाराजगी को भी बड़ा कारण बताया।
कांग्रेस की हार के प्रमुख कारण
- गुटबाजी और भितरघात से पार्टी को नुकसान हुआ।
- बागी नेताओं को नजरअंदाज किया गया, जिससे उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़कर कांग्रेस के वोट काटे।
- वरिष्ठ नेताओं के बीच तालमेल की कमी रही।
- कुमारी सैलजा को चुनाव लड़वाने से 10-15 सीटों पर फायदा हो सकता था, लेकिन उनकी नाराजगी और प्रचार से दूरी ने दलित वोटों को प्रभावित किया।
- जाट वोटों के ध्रुवीकरण से अन्य जातियों में गलत संदेश गया, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ।
- कुछ प्रत्याशियों ने ईवीएम की बैटरी को लेकर भी संदेह जताया।
चुनाव के बाद कांग्रेस की कार्रवाई
हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई है, जिसमें राजस्थान के विधायक हरीश चौधरी भी शामिल हैं। यह कमेटी चुनावी हार के कारणों पर रिपोर्ट तैयार कर कांग्रेस हाईकमान को सौंपेगी।